चम्पारण: बेतिया पश्चिम चम्पारण जिला अन्तर्गत नरकटियागंज टी.पी.वर्मा. कॉलेज में आज एन.एस.एस. के कोआर्डिनेटर प्रो. दीपक कुमार की अध्यक्षता में बिहार पृथ्वी दिवस के अवसर पर वृक्षारोपण किया गया .
प्रो. दीपक कुमार ने बताया कि संत कबीर ने इनके महत्व को इस प्रकार व्यक्त किया “ वृक्ष कबहुं नहीं फल भखे , नदी न संचे नीर , परमारथ के कारने , साधुन धरा शरीर ” . वृक्ष हमारे जीवन दाता होते हैं जो हमारे वातावरण को संतुलित रखने का कार्य करते हैं .आज हम सभी को वृक्षारोपण का जो सुअवसर मिला है यह किसी सौभाग्य से कम नहीं है. वृक्ष हमारे पुत्र के समान होते हैं . इसीलिए इनकी देखभाल और रख रखाव भी हमारी जिम्मेदारी बनती है.
कोआर्डिनेटर दीपक कुमार ने बताया कि भारत की सभ्यता वनों की गोद मे ही विकास हुई है. हमारे यहां के ऋषि मुनियों ने इन वृक्ष की छांव में बैठकर ही चिंतन मनन के साथ ही ज्ञान के भंडार को मानव को सौपा है वैदिक ज्ञान के वैराग्य में , आरण्यक ग्रंथों का विशेष स्थान है वनों की ही गोद में गुरुकुल की स्थापना की गई थी इन गुरुकुलो में अर्थशास्त्री , दार्शनिक तथा राष्ट्र निर्माण शिक्षा ग्रहण करते थे इन्ही वनों से आचार्य तथा ऋषि मानव के हितों के अनेक तरह की खोजें करते थे ओर यह क्रम चला ही आ रहा है पशियो चहकना , फूलो का खिलना किसके मन को नहीं भाता है .
इसलिए वृक्षारोपण हमारी संस्कृती में समाहित है.नोडल पदाधिकारी डॉ. दुर्बादल भट्टाचार्य ने बताया कि हमारे देश भारत की संस्कृति एवं सभ्यता वनों में ही पल्लवित तथा विकसित हुई है यह एक तरह से मानव का जीवन सहचर है . वृक्षारोपण से प्रकृति का संतुलन बना रहता है वृक्ष अगर ना हो तो सरोवर (नदियां ) में ना ही जल से भरी रहेंगी और ना ही सरिता ही कल कल ध्वनि से प्रभावित होंगी वृक्षों की जड़ों से वर्षा ऋतु का जल धरती के अंक में पहुंचता है.
यही जल स्त्रोतों में गमन करके हमें अपर जल राशि प्रदान करता है . वृक्षारोपण मानव समाज का सांस्कृतिक दायित्व भी है क्योंकि वृक्षारोपण हमारे जीवन को सुखी संतुलित बनाए रखता है . वृक्षारोपण हमारे जीवन में राहत और सुखचैन प्रदान करता है . प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम एक पेड लगाकर उसकी देखभाल का प्रण लेना चाहिए.
मौके पर डॉ. दुर्बादल भट्टाचार्य , प्रो. दीपक कुमार , डॉ. चंद्रभूषण बैठा , प्रो. दशरथ राम आदि मौजूद रहे