दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को शिक्षा क्षेत्र में सुधार और नई शिक्षा नीति लागू करने को लेकर एक अहम बैठक की. बैठक में शिक्षा में तकनीक के रोल को लेकर विस्तार से चर्चा की गई. इस दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि आने वाले समय में छात्रों की समझ-बूझ की क्षमता में विस्तार के लिए ऑनलाइन क्लास, शिक्षा पोर्टल, कक्षावार लाइव ब्रॉडकास्ट का सहारा लिया जाए.
कोरोना संक्रमण के दौर में कई शैक्षणिक संस्थान छात्रों के लिए ऑनलाइन क्लास लेकर आए हैं, ताकि उनका सिलेबस पीछे न छूट जाए, इसके अलावा तकनीक के नए क्षेत्रों से भी उनका वास्ता हो सके. लॉकडाउन की अवधि में दो हफ्ते की बढ़ोतरी के बाद मई महीने की पढ़ाई भी ऑनलाइन होने की उम्मीद है.
बैठक के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि शिक्षा में एकरूपता लाई जानी चाहिए. सरकार का मानना है कि प्राथमिक स्तर पर दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की जरूरत है इसलिए एक नया राष्ट्रीय पाठ्यक्रम फ्रेमवर्क तैयार किया जाना चाहिए. इस फ्रेमवर्क में बहु-भाषाई ज्ञान, 21वीं सदी के कौशल, पाठ्यक्रम में खेल, कला और वातारण से जुड़े मुद्दे भी शामिल किए जाएंगे.
चर्चा के दौरान तकनीक के इस्तेमाल और इसे बढ़ावा देने के लिए स्कूल और उच्च स्तर पर इसे बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर दिया गया. इस दौरान इस पर भी बात हुई कि ऑनलाइन माध्यमों, टीवी चैनल, रेडियो, पॉडकास्ट का इस्तेमाल अध्ययन को सुगम, सरल और रोचक बनाने के लिए किया जाए.
बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि अब देश को एक नई शिक्षा नीति की जरूरत है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण 1986 में किया गया था और 1992 में इसमें कुछ बदलाव किए गए थे. इसके बाद तीन दशक गुजर गए हैं, लेकिन इसमें कुछ बदलाव नहीं किया गया है. बैठक में कहा गया कि इसे ध्यान में रखते हुए अब नई शिक्षा नीति की जरूरत है.
सरकार के मुताबिक, शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक बदलाव की जरूरत है ताकि भारत दुनिया में ज्ञान का सुपरपावर बन सके. इसके लिए सभी को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा दिए जाने की जरूरत है ताकि एक प्रगतिशील और गतिमान समाज की स्थापना की जा सके.