प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को समाजवादी नेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 117वीं जयंती पर उन्हें याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, “मां भारती के सच्चे सपूत लोकनायक जयप्रकाश नारायण को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि. उन्होंने स्वतंत्रता संघर्ष में अपना बहुमूल्य योगदान तो दिया ही, आजादी के बाद लोकतंत्र की रक्षा में भी अतुलनीय भूमिका निभाई. उनका त्याग और समर्पण हम सबके लिए सदा प्रेरणास्रोत रहेगा.”
उल्लेखनीय है कि जयप्रकाश नारायण ने आपातकाल के खिलाफ तत्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ बड़ा जनआंदोलन चलाया था. उनके आंदोलन के चलते कांग्रेस सरकार को बाद में आपातकाल वापस लेना पड़ा था.
आज ही के दिन वह 1902 में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के सिताब दियारा गांव में जयप्रकाश नारायण का जन्म हुआ था. जयप्रकाश नारायण का गांव सिताबदियारा काफी बड़ा गांव है. ये गांव दो राज्यों के तीन जिलों में आता है. वो अपने पिता हरषू दयाल और माता रानी देवी की चौथी संतान थे. उनके पिता राज्य सरकार के कनाल डिपार्टमेंट में काम करते थे। बता दें, जयप्रकाश नारायण महात्मा गांधी के साथ रहकर स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेते रहे. हालांकि इस दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी. 20 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पत्नी प्रभादेवी को साबरमती आश्रम में छोड़कर अमेरिका पढ़ाई करने चले गए.
जयप्रकाश नारायण के बारे में कहा जाता है कि वो भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बनने के प्रबल दावेदार थे. लेकिन वो सत्ता के कभी नजदीक नहीं रहे. उस वक्त इंदिरा गांधी कहीं नहीं थी. उस दौर में जेपी को कैबिनेट मिनिस्टर, प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति बनने का प्रस्ताव मिला. लेकिन जेपी ने सभी प्रस्तावों को ठुकरा कर जवाहर इंदिरा विरोध का रास्ता चुना. उन्होंने देश के गरीबों, मजलूमों और वंचितों के हक की आवाज उठाई. वो जवाहरलाल नेहरू के बाद दूसरे प्रधानमंत्री बनने के उम्मीदवार थे लेकिन इसकी बजाय उन्होंने गरीबी के खिलाफ लड़ना उचित समझा.