हजारीबाग:- दहेज मुक्त झारखंड के रास्ट्रीय संस्थापक डॉ आनन्द कुमार शाही ने दीपावली एवं छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पर्वों की गरिमा और इसकी महत्ता बनाए रखने के साथ साथ हमें आपसी समझ और भाईचारा रखते हुए सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए भी सफल प्रयास करने होंगे. मेरी परमपिता परमेश्वर से विनती है कि हमारा झारखंड ही नहीं बल्कि पूरा देश समस्त कुरीतियों से मुक्त हो कर विश्व पटल पर भगवान भास्कर के समान स्वर्णिम आभा को बिखेरते हुए पूरे जगत को आलोकित करे.चार दिवसीय छठ महापर्व 18 नवंबर से शुरू होगा. 18 नवंबर को नहाय-खाय और 19 नवंबर को खरना है. 20 नवंबर को पहला अर्घ्य और 21 नवंबर को दूसरा अर्घ्य है. हालांकि, कोरोना (कोविड-19) महामारी की वजह से इस बार तालाबों और नदियों के किनारे छठ महापर्व का आयोजन नहीं किया जा सकेगा.इसे लेकर राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने रविवार रातदिशा-निर्देश जारी किया है. इसमें कहा गया है कि छठ महापर्व के दौरान श्रद्धालुओं के लिए नदियों व तालाबों में केंद्र सरकार के निर्देशों और सोशल डिस्टेंसिंग (दो गज दूरी) का पालन संभव नहीं है. ऐसे में लोगों को अपने घरों में ही इस बार छठ महापर्व का आयोजन करना होगा. आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देश स्पष्ट कहा गया है कि इस बार छठ महापर्व के दौरान किसी भी नदी, लेक, डैम या तालाब के छठ घाट पर किसी तरह के कार्यक्रम के आयोजन की मनाही होगी.