रांची: प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन, पासवा के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा है कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल में निजी स्कूलों के खिलाफ एक साजिश के तहत आमजन में माइंड सेट तैयार करने की कोशिश की जा रही है कि इन शिक्षण संस्थानों में अभिभावकों और विद्यार्थियों का आर्थिक दोहन हो रहा है. लेकिन सच्चाई यह है कि शिक्षा के मंदिर में नहीं, बल्कि निजी अस्पतालों में आमजनों का आर्थिक दोहन हो रहा है.
आलोक कुमार दूबे ने कहा कि निजी अस्पताल में किस तरह से लोगों का शोषण हो रहा है, यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है, इन अस्पतालों में जान बचे या जाए, लोगों से पैसे की वसूली की जा रही है, कभी बिना जरुरत मरीज को वेंटिलेटर पर रखने की बात आती है, तो कभी मौत के बाद भी इलाज जारी रखने का ढोंग तथा कभी किडनी व शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंग को निकाल कर बेचने की शिकायत भी सामने आती है, वहीं कई मौके पर पैसे नहीं देने पर शव देने से भी इनकार कर दिया जाता है.
दूसरी तरफ एक साजिश के तहत निजी स्कूलों को खत्म करने की साजिश की जा रही है, शिक्षा के मंदिर में जहां अभिभावकों से थोड़ी बहुत सहायता लेकर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है, वैसे शिक्षण संस्थानों को बदनाम करने की साजिश को बेनकाब करने की जरुरत है.
भाजपा अध्यक्ष आलोक कुमार दुबे ने कहा झारखंड में 20,000 से ज्यादा प्राइवेट स्कूल हैं जो कोरोना महामारी में भी ऑनलाइन क्लास लेकर बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं. झारखंड के सरकारी विद्यालयों की स्थिति किसी से छुपी हुई नहीं है, सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों को समय पर तनख्वाह तो मिलती हैं पढ़ाई क्या हो रही है किसी से छुपी हुई नहीं है.
प्राइवेट स्कूल के प्रति आम जनों का अनादर का भाव अच्छे संकेत नहीं हैं, स्कूल फीस अगर विद्यालय ले रहे हैं तो कोई गुनाह नहीं कर रहे हैं. सभी अभिभावकों से अनुरोध है कि मासिक स्कूल फीस अवश्य दें वरना स्कूल बंदी के कगार पर पहुंच जाएगा और लाखों शिक्षकों कर्मचारियों के बीच भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी एवं लाखों बच्चों का भविष्य अधर में लटक जाएगा.
आज भी पठन-पाठन के क्षेत्र में प्राइवेट स्कूल में ही उम्मीद की रोशनी जिन्दा है और इसके खिलाफ वातावरण तैयार करना कहीं से भी उचित नहीं है. पासवा अध्यक्ष ने निजी विद्यालयों के संचालकों से भी अनुरोध किया है कि वह स्कूल फीस के अतिरिक्त अन्य फीस अभी नहीं लें.
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में केंद्र सरकार की ओर से 20 लाख करोड़ रुपये पैकेज की घोषणा की गयी, संक्रमण काल में हर गतिविधियां शुरू हुई, लेकिन सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र की ही अनदेखी की गयी है, केंद्र सरकार की ओर से निजी स्कूलों को भी सहायता उपलब्ध करानी चाहिए, ताकि इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके.