रांची: रिम्स के छात्रों की एकेडमिक करियर को देखते हुए अब रिम्स प्रबंधन ने पीएचडी पढ़ाई की व्यवस्था शुरू करने की प्रक्रिया तेज कर दी है. इस सिलसिले में रिम्स निदेशक डॉ. डीके सिंह के नेतृत्व में एकेडमिक काउंसिल की बैठक हुई. बैठक में रांची विवि के परीक्षा नियंत्रक और रिम्स शासी परिषद के सदस्य डॉ आर के श्रीवास्तव भी शामिल थे.
रिम्स के निदेशक डॉ. डीके सिंह ने बताया कि किसी भी संस्था के लिए शोधकार्य बहुत ही जरूरी है. उन्होंने कहा कि शोध करने से ही संस्थान का नाम होता है. इसी को ध्यान में रखते हुए रांची विवि के प्रशासन के लोगों के साथ हुई बैठक में इन बातों की चर्चा की गई कि किस प्रकार से पीएचडी की कोर्स रिम्स में शुरू की जाए.
पीजी की परीक्षाएं रिम्स ही कराये, विवि ने किया आग्रह:
रांची यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक राजेश कुमार ने बताया कि रिम्स में पीएचडी की पढ़ाई शुरू होने के बाद यहां के छात्रों को सीधा लाभ मिलेगा और छात्र अपना ज्ञानवर्धन अपने राज्यों में रहकर कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि रिम्स के माध्यम से आयोजित सभी मेडिकल की फाइनल परीक्षाएं रांची विश्वविद्यालय कंडक्ट कराती थी लेकिन इस बार महामारी की परिस्थितियों को देखते हुए रिम्स प्रबंधन से यह आग्रह किया किया गया है कि इस बार पीजी की परीक्षाएं रिम्स ही कंडक्ट कराये. उन्होंने बताया कि यूजीसी से मिले गाइडलाइन के अनुसार 1 जुलाई से हम लोग परीक्षा आयोजित करा सकते हैं इसीलिए रिम्स प्रबंधन 15 जून तक पीजी के परीक्षा की तिथि की सूचना जारी कर देगी.
चिकित्सा पद्धति में प्रगति के लिए शोध कार्य जरूरी
बैठक में मौजूद रिम्स शासी परिषद के सदस्य डॉ. आरके श्रीवास्तव ने कहा कि शोध से ही चिकित्सा पद्धति में प्रगति लाई जा सकती है इसीलिए जरूरी है कि संस्थान को बेहतर बनाने के लिए छात्रों को शोध कार्य के प्रति रुझान पैदा कराया जाए. तभी मरीजों की चिकित्सा में गुणवत्ता आएगी. डॉ श्रीवास्तव ने कहा कि बगैर शोध के मेडिकल के छात्रों का बौद्धिक विकास होना संभव नहीं है. इसीलिए रिम्स प्रबंधन ने पीएचडी की व्यवस्था को चालू करने को लेकर जो भी तैयारियां की जा रही है वह सराहनीय है और पीएचडी की शुरुआत के बाद यहां के छात्र भी मेडिकल के क्षेत्र में कई नए कीर्तिमान रचने और झारखंड का नाम रौशन करने का काम करेंगे.