रांची: झारखंड विधानसभा ने जनजातीय समुदाय के लिए जनगणना-2021 में अलग सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास कर दिया. इसे लेकर ही आज विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किया गया था. सत्र की शुरुआत में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रस्ताव पर अपनी बात रखी. उन्होंने धर्मकोड के फायदे बताये है.
जनसंख्या का पता चलेगा
सीएम ने विधानसभा में कहा कि अलग धर्म कोड से जनगणना के बाद सरना आदिवासियों की जनसंख्या की जानकारी मिल पाएगी. उनकी भाषा, संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण के साथ उन्हेंत मिलने वाले संवैधानिक अधिकार, केंद्रीय योजना और भूमि संबंधी अधिकारों में भी फायदा होगा. झामुमो ने कहा कि विधानसभा में जनजातीय समुदाय के लिए अलग धर्म कोड की मांग पर मुहर लगना ऐतिहासिक है.
मान्यता को लेकर अल्टीमेटम
विभिन्न संगठनों ने सरना धर्म कोड की मान्यता को लेकर केंद्र सरकार को अल्टीमेटम में दे रखा है. संगठन के प्रतिनिधियों ने कहा है कि भारत सरकार 30 नवंबर तक सरना धर्म कोड की मान्यता की घोषणा नहीं करती है या इस संबंधी वार्ता शुरू नहीं करती है, तो छह दिसंबर को राष्ट्रव्यापी रेल-रोड चक्का जाम किया जाएगा.
सड़कों से संसद तक लड़ाई
केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि आदिवासी अपने अस्तित्व, पहचान, भाषा, संस्कृति और अपने अधिकारों के लिए लंबे समय से सरना धर्म कोड की लड़ाई लड़ रहे हैं. सरना कोड के लेकर ही सबसे ज्यादा आंदोलन हुए है, जिसके कारण पूरे देश के आदिवासी जागरूक हुए हैं. आदिवासी सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन कर रहे हैं. नेशनल फोरम ऑफ एसटी-एससी एंड ओबीसी कम्युनिटी ने सरना धर्म कोड का समर्थन किया. है.