प्रेम आनंद,
खास बातें:-
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दोनों का नारा अलग–अलग, बीजेपी 65 प्लस के मिशन पर, आजसू अबकी बार गांव की सरकार
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2014 में पहली बार दोनों के बीच हुआ था चुनाव से पहले गठबंधन
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1999 से बीजेपी-आजसू हैं साथ-साथ, चुनाव के बाद फिर हो सकते हैं एक
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बीजेपी ने आजसू सुप्रीमो सुदेश के खिलाफ सिल्ली में नहीं उतारा है उम्मीदवार
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आजसू के खिलाफ भी कई सीटों पर बीजेपी ने दिया है कमजोर उम्मीदवार
रांचीः आजसू और बीजेपी की दोस्ती भी अजीब है. दोनों एक दूसरे के खिलाफ चुनावी अखाड़े में ताल ठोंक रहे हैं. लेकिन न आजसू न ही बीजेपी ने गठबंधन टूटने की औपचारिक घोषणा की है. यूं कहिए कि प्यार मांगा है तुम्हीं से….. अब तक चुनावी मैदान में नारा भी अलग-अलग हो गया है.
बीजेपी 65 प्लस के मिशन और भाजपा दुबारा के नारे के साथ मैदान में है तो आजसू गांव की सरकार के नारे के साथ ताल ठोंक रही है. खास यह भी है कि बीजेपी ने आजसू के साथ प्यार में कोई कमी नहीं की है. कई सीटों पर आजसू के खिलाफ कमजोर उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. गोमिया, रामगढ़, बड़ाकागांव में बीजेपी ने आजसू के खिलाफ कमजोर कैंडिडेट दिए हैं. वहीं सिल्ली में बीजेपी ने आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं दिया है.
1999 से आजसू-बीजेपी के बीच बरकरार है प्यार
1999 से आजसू-बीजेपी के बीच प्यार बरकरार है. 1999 में आजसू ने बीजेपी को लोकसभा चुनाव में अपनी समर्थन दिया था. उसके बाद विधानसभा चुनाव में चुनाव बाद बीजेपी के साथ आजसू का गठबंधन रहा. सिर्फ 2014 में आजसू ने बीजेपी के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन किया था, जिसमें आजसू के खाते में आठ सीटों गई थी. जिसका नतीजा यह हुआ कि आजसू के कैडर बिखर गए. नवीन जायसवाल, योंगेंद्र प्रसाद सहित कई नेताओं ने दूसरे दलों का दामन थाम लिया था. इस कारण आजसू फिर से चुनाव पूर्व गठबंधन कर गलती दोहराना नहीं चाहती थी.
आजसू पूरी तरह से अटैकिंग मूड में
चुनावी अखाड़े में आजसू पूरी तरह से बीजेपी के खिलाफ हमला बोल रही है. खुद आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो खुले मंच से सरकार पर हमला बोल रहे हैं. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि बीजेपी सिल्ली से भी उम्मीदवार दें.
लोहरदगा और चंदनकियारी सीट पर भी सुदेश अड़े रहे, लेकिन बीजेपी अब तक आजसू के खिलाफ कोई बड़ा हमला नहीं बोला है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह भी है कि चुनाव के बाद फिर दोनों के बीच गठबंधन हो जाने की संभावना है.