रांची: झारखंड सरकार के कार्यवाहक मुख्यमंत्री रघुवर दास को पद छोड़ने के पहले यह बताना चाहिए कि राज्य सरकार की वर्तमान आर्थिक स्थिति कैसी है? उनके कार्यकाल में कितनी सहायता राशि केंद्र सरकार से मिली? कितनी राशि वित्तीय संस्थनो से कर्ज एवं उधार के रूप में ली गई तथा कितनी राशि राज्य सरकार के कर एवं गैर कर स्रोतों से आय के रूप में प्राप्त हुई?
2015 से 2019 के बीच 5 वर्षों में राज्य के ऊपर कर्ज का कितना बोझ बढ़ा कितने की योजना प्रत्येक वर्ष बनी और कितना पैसा खर्च हुआ जो बजट और योजना की राशि सरकार ने प्रत्येक वर्ष वय के रूप में निर्धारित किया वह कितना वास्तविक था और कितना जनता को दिखाने के लिए बढ़ा चढ़ा कर पेश किया गया. खासकर वर्तमान वित्तीय वर्ष में ये आंकड़े क्या है और कितना धन पीएल अकाउंट में जमा कर खर्च दिखया गया है.
वस्तु स्थिति यह है कि फिलहाल राज्य सरकार का खजाना बिल्कुल खाली हो गया है और रोजाना की खर्चों की भरपाई करने के लिए वित्त विभाग को धन जुटाना मुश्किल हो रहा है. राज्य के कर्मियों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है और हजारों करोड़ रुपए का भुगतान रुका हुआ है. इस वर्ष सरकार ने 80,000 करोड़ रुपए का बजट बनाया था जबकि उसकी क्षमता ₹60000 करोड़ से अधिक की नहीं थी. इसी तरह ₹44000 करोड़ का योजना बजट बना कुछ महीनों के बाद इसको घटाकर ₹33000 करोड़ कर दिया गया. वास्तु स्थिति यह है कि ₹25000 करोड़ से अधिक योजना मद में खर्च नहीं हो सकेगा जो खर्च नहीं हो रहा है उसे पीएल अकाउंट में जमा दिखाकर खर्च बता दिया जा रहा है.
2 दिन बाद आने वाली सरकार को यह सरकार एक दिवालिया अर्थव्यवस्था सौंप रही है. वर्तमान वित्तीय वर्ष के 3 महीने अभी बाकी है सरकार टकटकी लगाए बैठे रहेगी कि केंद्रीय सहायता अकाउंट्स कब आ रहा है. पहले तो डबल इंजन सरकार थी तब राज्य की अर्थव्यवस्था दिवालिया हो गई अब क्या होगा यह एक बड़ा प्रश्न है इसलिए पद छोड़ने के पहले कार्यवाहक मुख्यमंत्री को इस बारे में एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए और बताना चाहिए कि राज्य के वित्त व्यवस्था की स्थिति आखिर ऐसी किन कारणों से हो गई.