संवाददाता,
रांची: फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने लघु खनिज की रॉयल्टी बढ़ाये जाने को अव्यावहारिक कहा है. चैंबर के अध्यक्ष कुणाल अजमानी ने कहा है कि राज्य में पत्थर, बालू एवं ईंट पर राज्य सरकार द्वारा की गई अप्रत्याशित मूल्यवृद्धि से कठिनाईयां हो रही हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री को इस बाबत पत्र भी लिखा है. उन्होंने कहा है कि खान एवं भूतत्व विभाग द्वारा निर्गत अधिसूचना में पत्थर पर 138 फीसदी, बालू में 25 एवं ईंट पर 20 फीसदी राॅयल्टी की अप्रत्याषित वृद्धि कर दी गयी है. इससे राज्यभर के पत्थर व्यवसायियों, निर्माण कार्य से जुड़े उद्यमियों व इस रोजगार से जुड़े लोगों के प्रति सरकार की उदासीनता झलकती है.सरकार के फैसले से ये उद्योग बंदी की ओर अग्रसर हो गये हैं.
चैंबर अध्यक्ष ने कहा है कि विभागीय अधिसूचना के अनुसार पूर्व में पत्थर पर राॅयल्टी की दर जहां 105 रुपये प्रति घनमीटर थी, उसे बढ़ाकर 250 रुपये प्रति घन मीटर, बालू 40 रुपये प्रति घनमीटर से बढ़ाकर 50 रुपये प्रति घनमीटर एवं प्रति 20 लाख ईंट को 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.80 लाख रुपये किया गया है. पत्थर, बालू एवं ईंट पर अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी अव्यवहारिक प्रतीत होती है, जिसपर त्वरित संज्ञान लेने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा है कि पड़ोसी राज्य बिहार व पश्चिम बंगाल में पत्थर की दर 105 रुपये प्रति घन मीटर है. इसी प्रकार बालू व ईंट की दरें भी न्यूनतम निर्धारित है. राज्य में पत्थर, बालू व ईंट की दरों में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी से प्रधानमंत्री की सबको आवास उपलब्ध कराने की योजना (दो करोड़ प्रधानमंत्री आवास योजना) पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है.
चैंबर के कार्यकारिणी सदस्य सह बिल्डर्स एसोसिएशन के चेयरमेन रोहित अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में झारखण्ड में 20 हजार पत्थर व क्रशर के लाईसेंसधारी हैं. जिनमें 10 हजार के करीब चालू अवस्था में हैं. एक पत्थर खदान से लगभग 200 लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त है, ऐसे में पत्थर खदान बंद होने से लगभग दो लाख लोगों का रोजगार प्रभावित होगा, जिससे सरकार के राजस्व संग्रह पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
पत्थर, बालू एवं ईंट पर राॅयल्टी की दरों में अप्रत्याशित वृद्धि से समस्त जिलों के बिल्डर, ठेकेदार एवं पत्थर, बालू व ईंट व्यवसायी संघर्षरत हैं. उन्होंने कहा है कि विभागीय निर्णय पर पुर्नविचार करते हुए, पत्थर, बालू व ईंट पर राॅयल्टी की अप्रत्याशित वृद्धि को स्थगित करने हेतु विभागीय दिशा निर्देश जारी किया जाये.