मुंगेर: मौजूदा समय में सभी मान्यताओं पर जिंदा रहने की जंग हावी हो चुकी है. जिस कदर भारत सहित पूरी दुनिया में कोरोना कहर बरपा रहा है. ऐसे में धार्मिक मान्यताओं के स्वरूप में भी बदलाव हो रहा है. कोरोना के पहले मंदिरों में श्रद्धालु पूजा के दौरान गंगा जल से स्वयं को पवित्र करते थे लेकिन आज सैनिटाइजर ने इसका स्थान ले लिया है. मंदिर में प्रवेश करते ही पुरोहित अपने यजमान को पहले सैनिटाइज करते हैं, तब उन्हें पूजा-अर्चना की इजाजत देते है. कोरोना के कारण देश के विभिन्न भागों में लगने वाले कई प्रतिष्ठित मेलों पर भी रोक लगा दी गई. इस कड़ी में राजगीर की पवित्र भूमि पर हर तीसरे वर्ष लगने वाला मलमास मेला को भी स्थगित कर दिया गया है. जिसे लेकर जारी अधिसूचना में कहा गया है कि.राजगीर मलमास मेला 2020 का आयोजन 18 सितंबर से होने वाली थी. राष्ट्रीय धार्मिक मेला में भारी संख्या में श्रद्धालु गन आते हैं. जिसमें सामूहिक स्नान और भीड़ मैं सामाजिक दूरी का अनुपालन संभव नहीं हो पाता है. जिसे लेकर राज्य सरकार द्वारा सूचना जारी कर स्थगित करने का निर्णय लिया गया है.
आगामी 18 सितंबर से मलमास मेले की थी शुरुआत
18 सितंबर से मलमास मेले की अवधि तय थी. इस मेले से कई धार्मिक कथाएं जुड़ी है. कहा जाता है कि मेले के दौरान 33 करोड़ देवी-देवताओं का राजगीर में प्रवास होता है. देश के विभिन्न भागों से साधु-संतों के समूह राजगीर में चार शाही स्नान करने पहुंचते हैं. मलमास के दौरान यहां के विभिन्न कुंडों में लगाई गई डुबकी का महत्व नर्मदा, गंगा, त्रिवेणी संगम में हजारों बार लगाई गई डुबकी के बराबर पुण्य देने वाला माना जाता है. लेकिन सैकड़ों वर्षों से चली आ रही इस परंपरा पर पहली बार कोरोना ने ब्रेक लगा दिया.