उज्जैनः बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन भारत की पौराणिक नगरियों में एक है . राजा भोज और सम्राट विक्रमादित्य की कथाएं भी इसी नगरी पर आधारित है.
लेकिन जो यहां की सबसे महत्वपूर्ण बात है वो ये है कि 111 सालों से महाकाल को सुनाई जाती है रामकथा. ये बात तो सभी को मालूम है कि शिव को राम प्रिय हैं और राम को शिव.
इसलिए 13 फरवरी से प्रारंभ शिवनवरात्रि के इन नौ दिनों में अवंतिकानाथ को नारदीय संकीर्तन से हरि कथा सुनाने की परंपरा है.
ज्ञात इतिहास में यहां भगवान महाकाल को यह कथा सुनाने की परंपरा 111 साल पुरानी है. इंदौर के कानड़कर परिवार के सदस्य यह रीत निभाते आए हैं.
इस शिवनवरात्रि पर मंदिर प्रांगण के एक चबूतरे पर खड़े होकर रमेश श्रीराम कानड़कर भगवान को कथा श्रवण करा रहे हैं.
रमेश अपने परिवार की नौवीं पीढ़ी के सदस्य हैं, जो महाकाल मंदिर में कथा सुना रहे हैं. प्रतिदिन शाम 4 से 6 बजे तक कथा का आयोजन होता है.
ज्ञात इतिहास में यह परंपरा 111 साल पुरानी है. किंतु मान्यता है कि श्रुत परंपरा में यह त्रेता युग से चली आ रही है.
पुजारी प्रदीप गुरु के अनुसार दंत कथाओं में उल्लेख मिलता है कि हनुमानजी जब अवंतिकापुरी में आए थे तब शिवनवरात्रि के दौरान उन्होंने भी संकीर्तन कथा का श्रवण किया था.