रांची: साल 1990 में मंदिर निर्माण के संकल्प के साथ लाल कृष्ण आडवाणी की रथयात्रा जब सोमनाथ से अयोध्या के लिए चली थी, तब देश की सियासी हलचल तेज हो गयी थी.
उस वक्त एकीकृत बिहार के समस्तीपुर में आडवाणी की रथयात्रा को रोकने और उन्हें गिरफ्तार करने की जिम्मेवारी तत्कालीन डीआईजी डॉ. रामेश्वर उरांव को सौंपी गयी थी. पूर्व आईपीएस अधिकारी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तथा राज्य के वित्तमंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने बुधवार को अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम संपन्न होने पर पार्टी कार्यालय में दीप प्रज्ज्वलित करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि तत्कालीन सरकार के आदेश पर उन्हें आडवाणी की रथयात्रा को रोकने की जिम्मेवारी सौंपी गयी थी और कानूनी भाषा में कहे, तो उन्हें गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने बताया कि लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करने के बाद तीन दिनों तक उनके साथ रहने का उन्हें अवसर मिला. लाल कृष्ण आडवाणी काफी सुलझे हुए राजनेता है, इसलिए आज भी वे प्रशंसा करते है.
आडवाणी को गिरफ्तार करने में उन्हें दुमका के मसानजोर स्थित डाकबंगला में 12 दिनों तक नजरबंद कर रखा गया. उस वक्त पूरे देश की सियासत के साथ-साथ राम मंदिर के कार सेवकों की नजर इस डाकबंगलो की ओर लगी थी. तब बिहार अविभाजित था औेर तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने 23 अक्टूबर1990 को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और तत्कालीन भाजपा नेता स्वर्गीय प्रमोद महाजन को बिहार के समस्तीपुर से गिरफ्तार कर दुमका के मसानजोर गेस्ट हाउस में नजर बंद कर करीब 12 दिनों तक रखा था.
तब बिहार के दुमका से पश्चिम बंगाल के सिउड़ी जाने वाली मुख्य सड़क को 15 किलोमीटर तक सील कर दिया गया था और चारों ओर भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात किया गया था. 12 दिनों इस रास्ते से आने जाने की पूर्णतया पाबंदी लगा दी गयी थी.
लाल कृष्ण आडवाणी की 12 दिनों तक यहां नजरबंदी के बाद सिंचाई विभाग के इस डाकबंगलो को लोगों आडवाणी के नाम ही इसे जानने लगे थे. मसानजोर आने वाले पर्यटक इस डाकबंगलो को अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण प्रसंग के साथ जरूर देखते रहे हैं.