भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार और गोरखपुर के भाजपा सांसद रवि किशन के पिता का निधन मंगलवार देर रात हो गया था. रवि किशन के पिता श्याम नारायण शुक्ल ने वाराणसी में अंतिम सांस ली. वे 92 साल के थे. बुधवार दोपहर को उनका अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया गया. पिता की अंतिम विदाई के दौरान अभिनेता भावुक हो गए.
रवि किशन ने कहा- ‘यही हमारी दुनिया थे, आज वे साथ नहीं हैं. मेरा कोई गुरु नहीं था. न ही मैंने भगवान को देखा है. आध्यात्म से लेकर जीवन जीना पिता जी ने ही मुझे सिखाया. वो मेरे गुरु भी थे और भगवान भी. आज मैं बहुत अकेला हो गया हूं. वो दो महीने से बीमार भी थे. आज मेरे सर से बड़ा साया चला गया. 31 तारीख हर साल आएगा लेकिन शब्दों में नहीं बता सकता कि मैंने क्या खो दिया.’
पिछले कई महीनों से मुंबई में उनका इलाज चल रहा था. हालांकि तबीयत में सुधार नहीं होता देख उन्होंने वाराणसी में अपना शरीर त्यागने की इच्छा जताई थी. ऐसे में 15 दिन पहले वे वाराणसी लाए गए थे. गोरखपुर सदर सांसद ने अपने जीवन में पिता को ही अपना गुरु माना. इसके अलावा उन्होंने किसी को अपना गुरु नहीं माना.
रवि किशन का जन्म मुंबई के सांताक्रूज इलाके में एक छोटी सी चाल में हुआ था लेकिन वे मूल रुप से जौनपुर के रहने वाले हैं. उनके पिता पंडित श्याम नारायण शुक्ला मुंबई में पुरोहित थे और उनका डेयरी का छोटा सा बिजनेस था. रवि किशन जब 10 साल के थे तब उनके पिता का उनके चाचा के साथ विवाद हो गया और कारोबार बंद कर दोनों को जौनपुर लौटना पड़ा. रवि किशन यहां करीब सात साल तक रहे लेकिन पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता था. उन्हें मुंबई की याद आती थी.
रवि किशन जब मुंबई आए तो उनके पास इतना पैसा नहीं था कि वे बस का टिकट खरीद सकें. वह अक्सर पैसे बचाने के लिए पैदल ही आते-जाते थे. ज्यादातर समय वह वड़ापाव खाकर दिन गुजारते थे. करीब एक साल तक संघर्ष करने के बाद उन्हें फिल्म ‘पीताबंर’ में काम करने का मौका मिला. रवि किशन ने एक साक्षात्कार में बताया था कि उनकी इस सफलता में उनके पिता का बहुत बड़ा योगदान था. उनके पिता श्याम नारायण शुक्ला का मानना था कि रवि किशन का जन्म ईश्वर के आशीर्वाद से हुआ है. रवि किशन ने बताया था कि पिता जी अक्सर उनकी पिटाई कर देते थे लेकिन वह हमेशा उनसे प्यार करते थे.