रांची: कुख्यात अपराधी सुरेंद्र बंगाली ऊर्फ सुरेंद्र सिंह रौतेला के आपराधिक रिकॉर्ड गायब होने के मामले में कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराई गयी है. बता दें कि यह एफआइआर सिविल कोर्ट के रजिस्ट्रार मनीष कुमार सिंह की ओर से दर्ज कराई गयी है.
एफआईआर में बताया गया है कि सिविल कोर्ट से सुरेंद्र बंगाली के खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे से संबंधित रिकॉर्ड गायब हो गया है. वहीं पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है. यह रिकॉर्ड करीब 20 साल से गायब है, जो आज तक नहीं मिला है.
जेल में बंद रांची के कुख्यात अपराधी सुरेंद्र बंगाली ने वर्ष 2014 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि डोरंडा थाना से संबंधित एक मामला(77/1987) निचली अदालत में लंबित है. वर्ष 1999 में निचली अदालत ने इस केस को रिमांड किया है और संज्ञान भी लिया है, लेकिन इसपर अभी तक सुनवाई नहीं हो रही है क्योंकि निचली अदालत में केस का रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है. इस पर हाईकोर्ट ने 26.10.2015 को न्यायायुक्त से रिपोर्ट मांगी. लेकिन तय तिथि तक निचली अदालत से कोई रिपोर्ट नहीं दी गयी. हाईकोर्ट ने लगातार निचली अदालत को रिपोर्ट देने का रिमाइंडर दिया, लेकिन निचली अदालत से रिपोर्ट नहीं भेजी गयी. करीब दो साल तक लगातार रिमाइंडर भेजे जाने के बाद 26.7.16 को प्रधान न्यायायुक्त ने हाईकोर्ट को रिपोर्ट भेजा.
जानकारी के अनुसार, प्रधान न्यायुक्त ने 26.7.16 को अपनी रिपोर्ट में बताया था कि रिकॉर्ड गायब होने के मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. कमेटी इस बात का पता लगा रही कि कौन-कौन मामलों के रिकॉर्ड गायब हैं. इस पर कोर्ट ने सुरेंद्र बंगाली से संबंधित मामले का उल्लेख करते हुए न्यायायुक्त को यह बताने को कहा कि यदि रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है, तो दोबारा इसे तैयार क्यों नहीं किया जा रहा है. दोबारा रिकॉर्ड तैयार करने की प्रक्रिया शुरू क्यों नहीं की जा रही है. इस पर बताया गया था कि इस मामले में सिर्फ आरोप पत्र की कार्बन कॉपी उपलब्ध है. अन्य दस्तावेज भी नहीं मिल रहे हैं. इसके लिए डोरंडा थाना में संपर्क करने पर पता चला कि थाना का भवन ट्रांसफर हो गया है. अब पुराना रिकॉर्ड मिलना मुश्किल है.
हाइकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा था कि जब कमेटी गायब रिकॉर्ड का पता नहीं लगा पायी तो इस कमेटी को भंग क्यों नहीं किया गया था. यह कमेटी कछुए से भी धीमी गति से जांच कर रही थी, तो उसे गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया. एसएसपी कार्यालय और डोरंडा थाना से संपर्क कर दोबारा रिकॉर्ड लेने में दिलचस्पी क्यों नहीं दिखायी गयी थी. यह एक गंभीर मामला है. इस कारण इस पूरे मामले की जांच कराना जरूरी है.