गिरिडीह: देश दुनिया पर जब भी कोई बड़ी विपदा की काली छाया पड़ती है, तो उसकी सबसे ज्यादा मार गरीबों को ही झेलनी पड़ती है. कोरोना ने कहर बरपाना शुरू किया तो काम धंधे बंद हो गए, लेकिन भारत में सरकार की सक्रियता से न तो घरों की रसोई तक इसकी आंच पहुंची न ही किसी को भूख से तड़पना पड़ा.
देश को कोरोना संकट ने जब घेरा तो सरकार ने गरीब कल्याण पैकेज देकर कोरोना के साइड इफेक्ट को निष्प्रभावी बना दिया. इतना ही नहीं गरीबों, असहायों को खाद्य सुरक्षा कानून का भी इस दौरान भरपूर लाभ मिला.
एक उदाहरण यह बताने को काफी होगा की कोरोना काल में गिरिडीह जिले में सामुदायिक कीचन, मुख्यमंत्री दीदी कीचन, दाल भात केंद्र के द्वारा लगभग 44 लाख लोगों को निःशुल्क भोजन कराने का एक कीर्तिमान बना है.
गिरिडीह में सरकार द्वारा जगह जगह निःशुल्क भोजन की व्यवस्था से गरीब खुश हैं और उनके लिए मुख्यमंत्री दीदी कीचन वरदान साबित हो रहा है. गरीबों, जरूरतमंदों का कहना है कि कोरोना काल में अगर सरकार यह व्यवस्था नहीं करती तो वे लोग भूखे मर जाते.
कोरोना संक्रमण के दौर में गरीबों को भोजन खिलाना जहां सेवा सहयोग की बानगी पेश कर रहा है वहीं ये काम महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त और स्वावलंबी भी बना रहा है.
गिरिडीह में झारखंड स्टेट लाइवलीवुड प्रमोशन सोसायटी की स्वयं सहायता से जुड़ी महिलाओं ने भोजन तैयार करने की कमान अपने हाथों में संभाल रखी है.
झारखंड मस्टेट लाइवलीवुड प्रमोशन सोसायटी के गिरिडीह डीपीएम संजय कुमार गुप्ता ने बताया कि राज्य में सर्वाधिक 660 मुख्यमंत्री दीदी कीचन गिरिडीह में संचालित है तथा यह जून माह तक चलता रहेगा.
हर दौर में इंसान के लिए रोटी कपड़ा और मकान बुनियादी जरूरतें रही हैं. कोरोना काल की बात हो या फिर सामान्य दिनों की बात ये तीनों अगर किसी को मयस्सर हो जायें तो आप उस व्यक्ति विशेष को सुखी के पर्यायवाची टैग से सुशोभित कर सकतें हैं. कोरोना संकट में सरकार ने अपना खजाना खोल कर साबित कर दिया है की वो किसी को भूखा और बेहाल नहीं छोड़ सकती.