कोविड 19 के परिप्रेक्ष्य में पोषण के महत्व पर वेबिनार का हुआ आयोजन
सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च द्वारा आइसीडीएस के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में पोषण माह पर हुई चर्चा
वैशाली: स्वस्थ्य बच्चा स्वस्थ समाज की नींव होता है. प्रधानमंत्री जी की इस परिकल्पना को साकार करने के लिए दो साल पहले 2018 में शुरू किया गया पोषण माह का सफर लंबी दूरी तय कर चुका है. जमीनी स्तर पर नए बदलाव भी दिख रहे हैं.
इसकी उपयोगिता इसी बात से समझी जा सकती है कि कोरोना काल में भी अभियान का पहिया थमा नहीं है, बल्कि इस दौर में इसकी उपयोगिता को और ज्यादा महसूस करते हुए घर-घर तक पोषण का संदेश पहुंचाया जा रहा है. उक्त बातें आईसीडीएस की डीपीओ माला कुमारी ने शुक्रवार को सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च द्वारा आइसीडीएस के सहयोग से आयोजित वेबिनार में कही.
वर्चुअल संवाद के जरिये मौजूदा समय में पोषण माह पर विस्तार से चर्चा हुई. डीपीओ ने बताया समुदाय को पोषण के प्रति जागरुक करने के लिए कई स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं. पोषण के पांच सूत्रों पर उन्होंने प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि आंगनबाडी से जुडी सेवाओं को हर घर की चौखट तक पहुंचाया जा रहा है.
कोरोना काल में बच्चों के शारीरिक के साथ-साथ बौद्धिक विकास पर भी बल दिया जा रहा है. यूटयूब पर छोटी-छोटी कविताएं अपलोड की जा रही हैं, जिनके जरिये इस समय घर में रह रहे बच्चों का बौद्धिक विकास भी हो सके.
उन्होंने बताया कि जिले के हर प्रखंड में तीन-तीन मॉडल आंगनबाडी केंद्र बनाने हैं, जिसमें खेल-खेल में बच्चों के सीखने-समझने के माध्यमों के अतिरिक्त सेहत के प्रति जागरुकता से जुडे संसाधन उपलब्ध रहेंगे. उन्होंने बताया कि अभी प्रखंडों में ऐसे एक-एक मॉडल आंगनबाडी केंद्र बन चुके हैं.
सुनहरे होते हैं बच्चों के जीवन के प्रथम हजार दिन :
पोषण पर आयोजित वर्चुअल संवाद की शुरुआत केयर डीटीएल वैशाली सुमित कुमार ने की. उन्होंने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से पोषण अभियान की रूप-रेखा एवं इसके उद्देश्यों से लोगों को अवगत कराया.
उन्होंने पोषण माह से जुडी प्रारंभिक चीजों के बारे में विस्तार से बताया और पोषण के मामले में जिले की स्थिति पर डाटा भी शेयर किया. पावर प्वाइंट के जरिये सुमित कुमार ने बताया कि पोषण के मामले में बच्चों के जीवन के प्रथम हजार दिन बहुत मायने रखते हैं. इस समय जैसा बच्चे के खानपान पर ध्यान देंगे, आगे वैसा ही बच्चे का स्वास्थ्य होगा.
उन्होंने इस दौरान पोषण के लक्ष्य को भी रेखांकित किया. इसमें उन्होंने बताया कि पोषण अभियान का लक्ष्य 0-6 माह के बच्चों में प्रति वर्ष 2% की दर से बौनापन और दुबलापन को दूर करना एवं 6 माह से 59 माह के बच्चों में एनीमिया और 15 वर्ष से 49 वर्ष के किशोरियों एवं महिलाओं में प्रति वर्ष 3% की दर से एनीमिया को दूर करना है. विभागीय समन्वय और क्षमता संवर्धन के जरिये पोषण का लक्ष्य हासिल करने की बात बताई.
बेबी हेल्थ शो के जरिये पोषण के प्रति किया जाएगा जागरूक :
वेबिनार में शामिल महुआ सीडीपीओ अनिता जायसवाल ने बताया कि उन्होंने जमीनी स्तर पर आंगनबाडी के सारे कार्यकलापो को सुगम करने के लिए एक कैलेंडर बनाया है. इससे गृह भ्रमण, गोदभराई, अन्नप्राशन सहित सारे कार्यकलाप सुगम हो जाएंगे.
उन्होंने बताया कि उन्होंने आंगनबाडी सेविकाओं को गृह भ्रमण के दौरान ऐ सर्वे फॉर्म भी मुहैया कराया है, जिसमें खानपान और सेहत संबंधी सारा ब्योरा भरना है. इससे क्षेत्र में बच्चों के पोषण पर काम करने में सुविधा होगी. उन्होंने बताया कि वह एक बेबी शो आयोजित करने की योजना पर काम कर रही हैं. स्वास्थ्य के हर मानक पर खरे ऐसे कुछ बच्चों को देख अन्य अभिभावक प्रेरित होंगे.
बेबी शो में बच्चे के अभिभावक को पुरस्कृत करने की भी सोची है. वेबिनार में भाग ले रहीं वैशाली की महिला पर्यपवेक्षिका अर्चना कुमारी ने भी क्षे़त्र में काम के दौरान के अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने बताया कि अभी वह हर क्रियाकलाप में कोविड 19 के प्रोटोकॉल को ध्यान में रखती हैं. स्टॉल और रंगोली के जरिये समुदाय से संवाद के आकर्षक तरीके पर जोर देती हैं.
किशोरियों को स्वच्छता अपनाने और खानपान पर ध्यान देने की सलाह :
वेबिनार में शामिल बिदुपुर के चकजैनब आंगनबाडी केंद्र की सेविका सह आंगनबाडी कर्मचारी संघ की जिलाध्यक्ष सविता कुमारी ने बताया कि क्षेत्र में बच्चों के पोषण के साथ-साथ किशोरियों को स्वच्छता के प्रति भी जागरूक करना जरूरी है.
उन्होंने कहा, स्वच्छता के रास्ते ही पोषण का संदेश घर-घर तक पहुंचाया जा सकता है, इसलिए सैनिटरी नैप्किन का इस्तेमाल, घरों में शौचालय की उपयोगिता के बारे में वे समुदाय को जागरूक कर रही हैं.
वेबिनार में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी रणविजय कुमार, अवर राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी रंजीत कुमार, राज्य डॉक्यूमेंटेशन अफसर सरिता मलिक सहित सभी डिवीजन के डिवीजनल को-ऑर्डिनेटर मौजूद थे.