रांची: भारत में बढ़ती किडनी रोगियों की संख्या व उनके समुचित इलाज के लिए केंद्र सरकार गंभीर है. सरकार ने गंभीरता दिखाते हुए अब तक राज्यों के सहयोग से 474 जिलों में 8244 डायलिसिस मशीनें लगवाई है. आगे भी इस समस्या पर विस्तारित रूप से काम करने की योजना है. इस बात की जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने दी. डॉ. हर्षवर्द्धन रांची के सांसद संजय सेठ के द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब दे रहे थे.
जवाब में उन्होंने सदन को बताया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा सूचित किया गया है कि ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज – इंडिया स्टडी के अनुसार, 1990 से 2016 के बीच क्रोनिक किडनी रोग से संबंधित विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष (DALY) में 12% की वृद्धि हुई है. हालांकि, यह अनुमान लगाया जाता है कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप के मामलों में वृद्धि के साथ-साथ गुर्दे की बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ने से अस्पतालों में अधिक मामले सामने आ रहे हैं.
ICMR ने दिल्ली, जयपुर, हैदराबाद, भुवनेश्वर, कोलकाता, गुवाहाटी और मुंबई के केंद्रों के साथ भारतीय जनसंख्या में CKD का व्यापक अध्ययन किया. डेटा का प्रारंभिक रुझान पहले सीकेडी के सामुदायिक प्रसार का संकेत देता है.
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम (पीएमएनडीपी) के तहत, राज्य सरकारों को एनयूएम के लिए डायलिसिस सेवाएं मुफ्त प्रदान करने के लिए समर्थन किया जाता है. इस तरह का समर्थन राज्यों से उनके वार्षिक कार्यक्रम कार्यान्वयन योजनाओं (पीआईपी) में प्राप्त प्रस्तावों पर आधारित है, कुल 474 जिलों में 8244 मशीनों के साथ कवर किया गया है, जिसमें 5014 मशीनें हैं. इनमें पीएमएनडीपी के तहत 62.88 लाख हेमोडायसिसिस सत्रों के प्रदर्शन की संयुक्त क्षमता है.
पीएमएनडीपी के तहत पेरिटोनियल डायलिसिस सेवाओं को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा भी जारी किया गया है और झारखंड सहित सभी राज्यों के केंद्र शासित प्रदेशों को अपने प्रोजेक्ट कार्यान्वयन योजना (पीआईपी) में पेरिटोनियल डायलिसिस के लिए प्रस्ताव भेजने का अनुरोध किया गया है.