दिल्ली: आरबीआई गर्वनर ने मौद्रिक नीति का ऐलान कर दिया है. आरबीआई गर्वन ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने एकमत से बिना किसी बदलाव के रेपो रेट 4 फीसदी रखने के लिए वोट किया है.
उन्होंने कहा, “विरोध स्थलों के पास नाके लगाए गए हैं. मुझे लगता है कि सरकार ने पाकिस्तान की सीमा पर इस तरह की तैयारी नहीं की होगी जैसा कि वह दिल्ली की सीमाओं पर कर रही है.
अन्नादतों को राष्ट्र का शत्रु कहा जा रहा है. मैं आपसे आग्रह करता हूं कि अहंकार को दूर करें और तीनों कानूनों को निरस्त करें.”
क्या होता है रेपो रेट
बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है. ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं. इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं.
रेपो रेट से आम आदमी पर क्या पड़ता है प्रभाव
जब बैंकों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं. और यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और वे अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे.
रिवर्स रेपो रेट
यह रेपो रेट से उलट होता है. बैंकों के पास जब दिन-भर के कामकाज के बाद बड़ी रकम बची रह जाती है, तो उस रकम को रिजर्व बैंक में रख देते हैं. इस रकम पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है. रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं.
आम आदमी पर क्या पड़ता है प्रभाव
जब भी बाजारों में बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दें. इस तरह बैंकों के कब्जे में बाजार में छोड़ने के लिए कम रकम रह जाएगी.