सरायकेलाः नगर पंचायत के उपाध्यक्ष और भाजपा नेता मनोज चौधरी का एक वीडीओ इन दिनों खूब वायरल हो रहा है। जिसमें नगर उपाध्यक्ष सरायकेला थाना से महज पांच सौ मीटर की दूरी पर स्थित संजय चौक पर अपने समर्थकों के साथ व्यवसायी कन्हैया चौधरी के साथ दुकान में घुसकर मारपीट करते नजर आ रहे हैं वो भी दिनदहाड़े.
इतना ही नहीं वायरल वीडीओ में नगर उपाध्यक्ष इतने आक्रोशित नजर आ रहे हैं, कि उन्होने और उनके समर्थकों ने बीच- बचाव करने पहुंचे व्यवसायी के भाई पवन चौधरी और पिता को भी नहीं बक्शा. इस मारपीट की घटना में व्यवसायी कन्हैया चौधरी के सर में गंभीर चौटें आईं है.
जबकि पवन चौधरी और उनके पिता को भी चोटें आई है.आपको बता दें कि वायरल वीडीओ में जो तारीख दिख रहा है, उसमें साफ पता चल रहा है, कि घटना बीते छः जनवरी को दिन के दस बजे की है. हालांकि पीड़ित पक्ष की ओर से सरायकेला थाने में मामला दर्ज कराया गया, लेकिन बाद में 10 जनवरी को सुलह हो गया और मामले का पटाक्षेप हो गया.
वैसे सवाल ये उठता है, कि आखिर एक जनप्रतिनिधि को कानून हाथ में लेने का अधिकार किसने दे दिया. अगर जनप्रतिनिधि खुलेआम गुंडई करते रहें और बाद में राजनीतिक रसूख और प्रशासनिक सांठगांठ से पीड़ित व्यक्ति के साथ सुलह करते रहें तो कानून और प्रशासन की क्या भूमिका रह जाती है.
भले ही व्यवसाई मुकेश चौधरी ने सामाजिक, व्यवसायिक या अन्य किसी कारणों से दबाव में आकर सुलह कर लिया है मगर स्वास्थ्य लोकतंत्र के लिए ये सही नहीं है.
ऐसे जनप्रतिनिधियों के लिए सख्त कानून बनाने की जरूरत है, ताकि इन्हें तत्काल सजा मिल सके, क्योंकि ये जनता के रक्षक बनने का वायदा करके हमारा प्रतिनिधित्व करने आते हैं और सत्ता मिलते ही जनता के भक्षक की भूमिका में आ जाते हैं.
क्या है पूरा मामला एक रिपोर्ट
सरायकेला के एक व्यवसायी पवन चौधरी का किसी के साथ कारोबार संबंधी विवाद चल रहा है, जिसमें नगर उपाध्यक्ष मनोज चौधरी भी गवाह हैं.
उधर विवाद कोर्ट तक पहुंच गया है. एक बड़े अखबार के प्रतिनिधि ने मामले में दिलचस्पी दिखाते हुए पवन चौधरी से महंगा मोबाईल ले लिया, और पैसे मांगने पर पत्रकारिता का धौंस दिखाने लगा. इसको लेकर काफी हो हंगामा भी मचा था.
हालांकि अब तक अखबार के रिपोर्टर ने पैसे नहीं दिए हैं. उधर पवन चौधरी अपने फैसबुक पेज पर पूरे मामले का खुलासा करते रहे हैं और सरायकेला पुलिस की कार्यशैली पर भी उन्होंने सवाल उठाया था. जिसके बाद सरायकेला पुलिस ने उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया था. हालिया विवाद उन्ही सब घटनाओ को लेकर सामने आया.
जिसमें नगर उपाध्यक्ष खुलेआम दबंगई करते हुए व्यवसायी के साथ मारपीट करते नजर आए हैं. वैसै पूरा मामला अब रफा- दफा हो गया है जरूर मगर स्थानीय लोगों ने इसको लेकर नाराजगी भी देखी जा रही है.