रांची: फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल (फैम) के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम कुमार, प्रदेश महासचिव दीपेश निराला, मीडिया सेल के चेयरमैन संजय सर्राफ एवं कोषाध्यक्ष शैलेंद्र कुमार सुमन ने संयुक्त रुप से कहा है कि बैंक/ गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों द्वारा ऋण वसूली हेतु रिकवरी एजेंट द्वारा प्रयुक्त की जाने वाली गैर कानूनी प्रक्रिया को रोकने के सम्बन्ध में फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल (फैम) द्वारा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन को 27 सितंबर, 2020 को एक पत्र लिखा गया और अवगत कराया गया कि कोरोना उपरांत लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था में आयी शिथिलता के कारण व्यापारियों एवं आम जन के समक्ष एक गहरा वित्तीय संकट पैदा हो गया है.
समय के इस कुचक्र के चलते व्यापारियों की एवं समाज के मध्यम वर्ग की आय बहुत प्रभावित हुई है और बैंको की या प्राइवेट कंपनियों की किस्तों में या ब्याज में डिफॉल्ट आना शुरू हो गया है. जैसा की विदित है कि लघु कारोबारियों को बैंकिंग व्यवस्था से सिर्फ 5% ही ऋण सुविधा प्राप्त है. शेष 95% या तो गैर वित्तीय फाइनेंस कंपनीज या सूदखोरों के ऋण प्राप्त करते हैं.
बैंको के लिए आपके निर्देश पर रिजर्व बैंक द्वारा काफी छूट प्रदान की गयी है, पर 95% लघु व्यापारियों के समक्ष आज भी ऋण की किस्त एवं ब्याज की देनदारी बनीं हुए है, क्योंकि व्यापार भलीभांति चल नहीं पा रहा है. अतः निजी क्षेत्र के बैंक एवं निजी स्त्रोतों से लिए गए ऋण अब लघु व्यापारियों के लिए बहुत बड़ी मुसीबत बन चुके है.
क़िस्त एवं ब्याज में डिफॉल्ट वाहन ऋण, व्यक्तिगत ऋण, घरेलु सामान के क्रय पर ऋण या आभूषणों पर ऋण, इत्यादि प्रमुख है. प्रदेश मीडिया सेल के चेयरमैन संजय सर्राफ ने बताया है कि फैम के राष्ट्रीय महासचिव वी के बंसल द्वारा माननीय केंद्रीय वित्त मंत्री को अवगत कराया गया है कि निजी क्षेत्र के बैंको ने एवं निजी क्षेत्र के ऋण प्रदाता ने ऋणों की वसूली के लिए रिकवरी एजेंट रखे हुए हैं.
यह किस्त या ब्याज न दे पाने की अवस्था में ऋणी को डराते-धमकाते हैं, और उसका सोशल अपमान करते हैं, एवं कानून को अपने हाथों में लेने से भी नहीं कतराते है. बैंक की ऋण के वसूली के लिए हमारे संविधान के अंतर्गत सिविल कानूनों की व्यवस्था की गयी है पर रिकवरी एजेंट सब कानूनों से ऊपर होकर एक मृतप्राय व्यक्ति के खून चूसना के समान अपने किस्तों एवं ब्याज की रिकवरी हेतु सभी गैर कानूनी हथखंडों का प्रयोग करते है.
फैम द्वारा सरकार से आग्रह किया गया है कि जिस प्रकार अन्य संस्थाओं के लिए कुछ नियम कानून बनाए गए हैं, उसी प्रकार कुछ कानून, नियम रिकवरी एजेंट के लिए भी बनाने चाहिए. फैम द्वारा कुछ सुझाव केंद्रीय वित्त मंत्री को भेजे भी गए हैं. प्रत्येक बैंक या वित्तीय संस्था को अपने रिकवरी एजेंटों की सूची, उन्हें सौंपे गए खातों का विवरण, पुलिस को प्रस्तुत करना अनिवार्य होना चाहिए.
प्रत्येक वसूली एजेंटों को बैंक या वित्तीय संस्था के साथ हुए कारोबारी करार, बैंकों या वित्तीय संस्थानों से मिले दिशा-निर्देश, इत्यादि को पहले स्थानीय पुलिस को सौपना चाहिए. प्रत्येक वसूली एजेंटों को अपने कर्मचारियों के आपराधिक इतिहास के संबंध में भी स्थानीय पुलिस को अग्रिम सुचना देना अनिवार्य होना चाहिए, वसूली एजेंट जब भी वसूली के लिए भेजे जाएं, सर्वप्रथम उक्त बैंक या वित्तीय संस्था द्वारा स्थानीय पुलिस को सुचना देना अनिवार्य होना चाहिए तथा ऋणी से वसूली संबंधित कोई भी वार्तालाप सिर्फ पुलिस की उपस्थिति में ही होनी चाहिए.
सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी वसूली एजेंट कानून अपने हांथो में ना ले पाए, कई मामलों में गिरवी रखी गई संपत्ति या प्रतिभूति सुरक्षा का मूल्य ऋण राशि से अधिक है. ऐसे मामलों में वसूली लंबे समय तक संभव नहीं है.
इस प्रकार के मामलों में वसूली केवल एक अदालत के आदेश से की जानी चाहिए. सरकार को किसी भी धमकी या धमकी के मामले में ऋणी की शिकायतों को सुनने के लिए एक विशेष अधिकारी/ हेल्पलाइन की मदद की व्यवस्था करनी चाहिए. रिजर्व बैंक द्वारा एवं विभिन्न उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में दिए गए दिशा निर्देशों का पालन सुनिश्चित करना.
फैम के सदस्यों ने आशा व्यक्त की है कि जनहित में लघु कारोबारी और आमजन कोरोना महामारी के कारण अपना कारोबार या आय के स्त्रोत खो बैठे हैं, उन्हें बैंक एवं वित्तीय संस्थाओ द्वारा नियुक्त वसूली एजेंट के प्रकोप के बचाने हेतु सरकार उपरोक्त बातों पर यथाशीघ्र एक विस्तृत नियमावली एवं नीति तैयार करे और इस संकट कालीन समय में कुछ राहत प्रदान करे.
पत्र की प्रतिलिपि प्रधान मंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, केंद्रीय उद्योग वाणिज्य मंत्री एवं रिजर्व बैंक के गवर्नर को भी भेजी गयी है.