दिल्ली: वायु प्रदूषण के कारण हर साल लाखों लोगों की जान जाती है. वहीं अब एक अध्ययन में वायु प्रदूषण को लेकर डराने वाला खुलासा हुआ है. स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल वायु प्रदूषण के कारण करीब पांच लाख बच्चों का जन्म के पहले महीने के बाद ही निधन हो गया.
स्टडी के अनुसार, विकासशील देशों में वायु प्रदूषण के कारण बच्चों की मौत की संख्या अधिक है. अध्ययन की मानें को गर्भ में पल रहे शिशुओं के लिए भी प्रदूषित वायु काफी हानिकारक है. इसके कारण समय से पहले शिशु का जन्म या जन्म के बाद शिशु का कम वजन हो सकता है. बता दें, समय से पहले शिशु का जन्म या जन्म के बाद शिशु का कम वजन होना, उच्च शिशु मृत्यु दर के दो बड़े कारण है.
यह अध्ययन करीब पांच लाख शिशुओं पर किया गया था, जिसमें करीब दो तिहाई बच्ची की जान इनडोर वायु प्रदूषण के कारण हुई, विशेष रूप से ठोस ईंधन जैसे लकड़ी का कोयला, लकड़ी और खाना पकाने के लिए गोबर से बने कंडे.
बता दें, कई सालों से चिकित्सा विशेषज्ञों ने वृद्ध लोगों और स्वास्थ्य समस्या से परेशान लोगों के लिए प्रदूषित वायु से सावधान रहने की चेतानवी दी है, लेकिन गर्भ में शिशुओं पर वायु प्रदूषण के घातक प्रभाव को अभी भी वैज्ञानिक समझ रहे हैं.
हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट की प्रमुख वैज्ञानिक और रिपोर्ट को प्रकाशित करनी वाली कैथरीन वॉकर ने कहा,”हम पूरी तरह से यह नहीं समझते हैं कि इस स्तर पर तंत्र क्या हैं, लेकिन कुछ चल रहा है जो बच्चे के विकास और अंततः जन्म के वजन में कमी का कारण बन रहा है.” बता दें, जिन शिशुओं का जन्म के समय वजन कम होता है, उनमें बचपन में संक्रमण और निमोनिया होने की संभावना अधिक होती है. प्री-टर्म शिशुओं के फेफड़े भी पूरी तरह से विकसित नहीं हो सकते हैं.
यह रिपोर्ट रिपोर्ट 2019 के आंकड़ों पर केंद्रित है और इसमें 2020 में दुनिया भर में कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान कम हुए वायु प्रदूषण के प्रभाव को शामिल नहीं किया गया है. शोधकर्ताओं का मानना है कि वायु प्रदूषण के कम होने से बच्चों की मौत की संख्या में कमी आएगी, लेकिन यह आंकड़ां कितना होगा, यह साफ नहीं है.