नई दिल्ली: इक्का-दुक्का किन्नर ही ऐसे होते हैं, जिनकी जिंदगी अपने घर और शहर में कटती है. वरना तो 11 से 15 साल की उम्र में कदम रखते ही ज़्यादातर किन्नर अपना घर और शहर छोड़ देते हैं. बहुत सारे ऐसे भी होते हैं, जिन्हें उनके मां-बाप 3 से 9 साल की उम्र में अपने शहर से दूर किसी किन्नर गुरु को सौंप देते हैं. ज़्यादातर किन्नर अपमानजनक शब्दों से बचने के लिए खुद ही अपना शहर छोड़ देते हैं.
अबुल कलाम जनसेवा संस्थान और नई दिल्ली की संस्था इंडो ग्लोबल सोशल सोसायटी ने मिलकर यूपी में किन्नरों की हालत को जानने के लिए एक सर्वे किया है. अबुल कलाम जनसेवा संस्थान के सचिव नाज़िम अंसारी ने बताया यूपी के 20 ज़िलों मे यह सर्वे किया गया है.
सर्वे के दौरान ज़्यादातर किन्नर ने इस बात को माना है कि समाज और अपनों के ताने के चलते उन्हें अपना ही शहर और घर छोड़ना पड़ता है. वहीं, घर में किन्नर बच्चा है, इसे लेकर समाज और नाते-रिश्तेदार क्या कहेंगे, दूसरे बच्चों की शादियां कैसे होंगी यह सोचकर मां-बाप भी अपने किन्नर बच्चे को त्याग देते हैं.
पढ़ाई-लिखाई में पीछे नहीं हैं किन्नर
सर्वे के दौरान कुछ वरिष्ठ किन्नरों से बातचीत में सामने आया कि 27 फीसद किन्नर कक्षा 1 से 9 तक 4 फीसद, 10वीं तक 3 फीसद, 12वीं और 2 फीसद स्नातक हैं. वहीं, सर्वे में यह भी खुलासा हुआ है कि 3-10 साल की उम्र में 29 फीसद किन्नर, 11-15 की उम्र में 40 फीसद और 16-22 की उम्र में 30 फीसद किन्नर घर छोड़ देते हैं. सर्वे में यह भी खुलासा हुआ है कि 57 फीसद लोग किन्नरों को बुरे नामों से बुलाते हैं. 64 फीसदी पुलिस के लोग परेशान करते हैं.
आगरा, यूपी में हैं सबसे ज़्यादा किन्नर
सर्वे के अनुसार, यूपी में सबसे ज्यादा किन्नरों की संख्या आगरा मंडल में 14915 है. बनारस मंडल में 12620, मुरादाबाद मंडल में 9790 है. वहीं, प्रयागराज मंडल में 8808 किन्नर हैं. यह आंकड़े प्रदेश के 20 जिलों में 293 किन्नरों से संपर्क करके हासिल किए गए हैं. सचिव नाजिम अंसारी ने बताया कि सर्वे के दौरान किन्नर हम लोगों से खुलकर बात नहीं करते थे. वो बाहरी लोगों से संपर्क कम ही रखते हैं. अगर सरकारी लेवल पर सर्वे हो तो यूपी में ही किन्नरों की संख्या 3 लाख से ज़्यादा होगी. अभी मौजूदा वक्त में यह संख्या 1.64 लाख निकलकर आई है.