रांची: देशभर में 16 जनवरी से शुरू हुआ कोरोना वैक्सीन अभियान में राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स (RIMS) वैक्सीन के लांग टर्म प्रभाव पर रिसर्च करेगा. रिम्स निदेशक की मानें तो रिम्स की अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास से भी कोरोना वैक्सीन का मानव मस्तिष्क पर प्रभाव को लेकर एक रिसर्च की बात हो रही है.
कोरोना जितना विज्ञान जगत के लिए नया है उतना ही नया कोरोना का वैक्सीन है. कोरोना वैक्सीन की इमरजेंसी उपयोग के तहत देश में वैक्सीनेशन का काम भी शुरू हो गया है. ऐसे में देश के कई मेडिकल संस्थानों के साथ-साथ झारखंड का सबसे बड़ा मेडिकल इंस्टीट्यूट रिम्स भी कोरोना वैक्सीन के दूरगामी प्रभाव पर रिसर्च करेगा. प्रीवेंटिव एंड सोशल मेडिसीन (PSM) विभाग के डॉ. देवेश कुमार ने बताया कि निदेशक के आदेश से कोरोना वैक्सीन के दूरगामी प्रभाव को लेकर रिम्स अपनी भूमिका निभाने को तैयार है.
कोरोना वैक्सीन के प्रभाव पर होने वाले रिसर्च में क्या है खास–
– कोरोना वैक्सीन का लांग टर्म इफेक्ट देखना चाहता है रिम्स.
– वैक्सीनेशन के बाद भी कितने लोगों को हुआ कोरोना का संक्रमण इसका भी डेटाबेस तैयार करेगा रिम्स.
– मानव मस्तिष्क पर कोरोना वैक्सीन के दूरगामी प्रभाव पर भी रिसर्च करेगा रिम्स.
– गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाओं और अनजाने में गर्भवती महिलाओं ने लिया वैक्सीन तो उसका क्या होता है प्रभाव.
– 02 साल तक वैक्सीन लेने वाले फ्रंट लाइन हेल्थ वरियर्स को फॉलो करेगा रिम्स.
– राज्य के सभी जिला अस्पतालों से भी संपर्क में रहेगा रिम्स.
– PSM विभाग,गायनी विभाग और न्यूरो विभाग को दी गई है जिम्मेदारी.
क्या कहते हैं रिम्स निदेशक डॉ. कामेश्वर प्रसाद–
AIIMS, दिल्ली के न्यूरोलॉजी HOD रह चुके रिम्स के वर्तमान निदेशक पद्मश्री कामेश्वर प्रसाद ने कहा कि कोरोना वायरस के खात्मे के लिए दिए जा रहे वैक्सीन के हर पहलू पर राजेन्द्र इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (RIMS) पूरी तरह तैयार है. कोरोना वैक्सीन और उसका लांग टर्म में मानव शरीर पर प्रभाव पर होने वाला शोध काफी महत्वपूर्ण है. उम्मीद की जानी चाहिये कि रिम्स चिकित्सा जगत में अपने महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.