चाईबासा: झारखंड में पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत सारंडा वन प्रमंडल क्षेत्र अंतर्गत करमपदा स्थित औषधीय केंद्र में वन समिति के द्वारा शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार “सारंडा इम्यूनिटी बूस्टर काढ़ा“ तैयार किया गया है.
सारंडा इम्यूनिटी बूस्टर काढ़ा का लोकार्पण जिले के उपायुक्त अरवा राजकमल, पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत महथा, उप विकास आयुक्त आदित्य रंजन, सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश कुमार समेत अन्य अधिकारियों द्वारा हर्बल पेय पदार्थ का सेवन कर किया गया. शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में यह हर्बल पेय पदार्थ काफी मददगार होगा.
आयुष मंत्रालय के द्वारा दिए गए गाइडलाइन के तहत सारंडा वन क्षेत्र में पाए जाने वाले औषधीय गुण से परिपूर्ण जड़ी बूटियों की मदद से प्रशिक्षण केंद्र के आयुर्वेदाचार्य मधुसूदन मिश्रा के नेतृत्व में इसको तैयार किया गया है. इस पेय पदार्थ के निर्माण में मुख्यतः गिलोय, अर्जुन वृक्ष की छाल, अमरूद की पत्तियां, अदरक, काली मिर्च, गुड़ इत्यादि का प्रयोग किया गया है.
शरीर में इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक हर्बल पदार्थों को मिलाकर बनाया गया है काढ़ा
“सारंडा इम्यूनिटी बूस्टर काढा़“ के सेवन के उपरांत उपायुक्त ने बताया कि वन प्रमंडल पदाधिकारी के नेतृत्व में स्थानीय वन समिति के द्वारा शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में वर्णित सामग्रियों का प्रयोग करते हुए इस हर्बल पेय पदार्थ का निर्माण किया गया है. वैश्विक महामारी के इस संकटकाल में इनके द्वारा किए गए कार्यों की जिला प्रशासन सराहना और भविष्य में इसके उत्पादन को बढ़ाने का अनुरोध करती है. आयुष विभाग से हर्बल पेय पदार्थ को मान्यता प्राप्त होने के उपरांत इस पेय पदार्थ को जिले की दवा दुकानों पर भी उपलब्ध करवाया जाएगा तथा दूसरे जिलों में भी इसे उपलब्ध करवाया जाएगा.
उपायुक्त ने बताया कि इस पेय पदार्थ के निर्माण में जुड़े स्थानीय वन समितियों के सदस्यों के आमदनी में भी बढ़ोत्तरी होगी तथा वर्तमान समय में कोरोना वायरस से जारी इस जंग में एक मजबूत सहारा भी होगा. हर्बल पेय पदार्थ के बारे में जानकारी देते हुए सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी ने बताया कि वर्तमान में वैश्विक महामारी के दौरान वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए कोई भी दवा उपलब्ध नहीं है, ऐसे में आवश्यक है कि शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाए.
उन्होंने बताया कि आयुर्वेदाचार्य के नेतृत्व में करमपदा औषधीय केंद्र पर वन समिति के सदस्यों द्वारा गिलोय, अर्जुन वृक्ष की छाल, अमरूद की पत्तियां, पीपर, अदरक, काली मिर्च,गुड, तुलसी, दालचीनी, लॉन्ग, इलायची बीज, हल्दी तथा नींबू के मदद से काढ़े का निर्माण किया गया है.