रांची: विधायक सरयू राय ने पलामू टाइगर रिजर्व में एक बाघिन की मौत के मामले में वन विभाग के अधिकारियों को कठघरे में खड़ा किया है. इसकी उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से की है. उन्होंने कहा कि मौत को गौर नामक जानवर के झुंड का हमला बताकर मामले को रफादफा करने की कोशिश हो रही है. ऐसा करने वाले वन विभाग के अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया आरंभ करने का निर्देश दें. इस मामले में वन के विभाग के अधिकारियों ने अक्षम्य लापरवाही बरती है. नेशनल टाईगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के प्रावधानों के अनुरुप काम नहीं किया है.
ये सवाल खड़े किए विधायक ने
1. विभाग के चीफ वाइल्ड लाईफ वार्डन ने आजतक घटनास्थल का दौरा कर मामले का स्वयं पर्यवेक्षण क्यों नहीं किया?
2. वन विभाग के अधिकारी मौत का कारण “गौर” का हमला बता रहे हैं. क्या वे बतायेंगे कि वन्यजीव इतिहास में कोई दूसरा उदाहरण है, जिसमें गौर ने हमला कर बाघ/बाघिन को मार डाला हो.
3. जहां पर बाघिन मरी है, वहां खून का एक कतरा भी नहीं है. गौर के हमले में ऐसा संभव नहीं.
4. वे बता रहे हैं कि बाघिन बूढ़ी हो गई थी, उसके नाखून झड़ गये थे. मृत बाघिन का फोटो देखने से स्पष्ट है कि उसके सभी पैरों के नाखून यथावत हैं, वे झड़े नहीं है.
5. फोटो में बाघिन की नाक का रंग गुलाबी दिख रहा है. यह उसके जवान होने का लक्षण है. कारण कि बूढ़ी बाघिन के नाक का रंग काला हो जाता है.
6. वन विभाग कह रहा है कि घाव पेट में लगा है, जबकि फोटो में वह पृष्ठीय भाग में लगा दिख रहा है जो कि गौर के हमले से नहीं संभव है.
7. NTCA के प्रावधान के मुताबिक बाघ/बाघिन की ऐसी मौत की जांच यह मानकर शुरू की जाती है कि यह मौत शिकारी की गोली से हुई है. जब यह सिद्ध हो जाए कि मौत शिकारी की गोली से नहीं हुई है, तब मौत के अन्य कारणों की जांच होती है पर इस मामले में ऐसा नहीं हुआ.
8. NTCA का एक प्रावधान यह भी है कि शिड्यूल –l के वन्यजीवों के मामले में मौत के बाद पोस्टमार्टम के समय NTCA का एक प्रतिनिधि मौजूद रहता है. NTCA के एक प्रतिनिंधि डॉ. डी.एस श्रीवास्तव पलामू में रहते हैं पर उन्हें बुलाया नहीं गया. उन्होंने बातचीत में मुझे बताया कि इस मामले में उन्हें नहीं बुलाया गया. सूचना मिलने पर वे गये तो देखा कि चिता जलाने का उपक्रम हो रहा है.
9. बाघिन का शव जलाने की इतनी अफरातफरी वन विभाग को क्यों थी. शव को डीप फ्रिज में रखना चाहिए था, ताकि NTCA के अधिकारी आकर जांच करें.
10. वन विभाग के अधिकारी बाघिन की मौत के सबूत मिटाने के दोषी हैं. ये NTCA के प्रोटोकॉल की धज्जी उड़ाने के भी दोषी हैं.
11. मुझे यह एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा लगता है. इसकी उच्चस्तरीय जांच आवश्यक है. जांच की अवधि में दोषी अधिकारियों को इनके पदों से हटाना जरूरी है.
12. पूर्ववर्ती सरकार में मैं लातेहार जिला का प्रभारी मंत्री था, जिसमें पीटीआर अवस्थित है. प्रभारी मंत्री के नाते मैंने यहां का कई बार दौरा किया. बेतला में चार उच्चस्तरीय बैठकें की जिसमे वन सचिव भी शामिल हुए. PTR, NTCA के हाईजीन पर नहीं चल रहा था. उसे विधिसम्मत रास्ते पर लाया. वहां पर इस तरह से नियमों की धज्जी वन विभाग के शीर्ष अधिकारी उड़ा रहे हैं.
Also Read This: CMPDI में एक दिवसीय कार्यशाला और राउण्ड टेबल डिस्कशन का आयोजन