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राशन कार्ड रद्द करने के मामले में तत्कालीन मुख्य सचिव व खाद्य आपूर्ति सचिव के विरूद्ध कार्रवाई की मांग
रांची: निर्दलीय विधायक और राज्य के पूर्व खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर पिछली सरकार में राशन कार्ड रद्द किये जाने के मामले में तत्कालीन मुख्य सचिव और खाद्य आपूर्ति विभाग के सचिव से कालबद्ध स्पष्टीकरण पूछने और उनके विरूद्ध विधिसम्मत कारवाई की मांग की है.
सरयू राय ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में बताया कि मंत्रिमंडल सचिवालय, भारत सरकार के अधीन ’डीबीटी मिशन‘ के निर्देशानुसार वैसे फर्जी, प्रतिरूपित, नकली राशन कार्डों की संख्या राज्य सरकार से मांगी गई है, जिन्हें आधार के उपयोग के कारण निरस्त-निलंबित किया गया है.
पिछली राज्य सरकार के 1000 दिन पूरा होने के अवसर पर उनकी जानकारी के बिना घोषणा कर दी गई थी कि झारखंड मे राष्ट्रीय खाद्य अधिनियम- 2013 लागू होने के उपरांत अबतक कुल 11.30 लाख राशन कार्ड निरस्त किये गये हैं, जिस कारण सरकार को काफी धन की बचत हुई है. इसमें यह सूचना नहीं दी गई कि किस श्रेणी के कितने राशन कार्ड किस कारण से निरस्त हुये हैं, अभी तक यह जानकारी उपलब्ध नहीं है.
उन्होंने बताया कि भारत सरकार के उपर्युक्त संदर्भित पत्र में उल्लेख है कि राज्य सरकारों-केन्द्र शासित प्रदेशों की गणना में वैसे राशन कार्ड भी शामिल रहते हैं जिन्हें कतिपय अन्य कारणों जेसै- मृत्यु, विस्थापन, अपात्रता, अयोग्यता, कार्डधारी की आर्थिक स्थिति का उन्नयन आदि के कारण निरस्त कार्डों की संख्या भी शामिल रहती है पर उन्हें केवल ऐसे राशन कार्डों की संख्या चाहिये जो आधार शामिल नहीं किए जाने की वजह से निरस्त किये गये हैं. उन्होंने बताया कि झारखंड में बड़ी संख्या में निरस्त किये गये राशन कार्डों में वैसे कार्डधारियों के राशन कार्ड भी शामिल हैं, जो 27 मार्च 2017 को राज्य की मुख्य सचिव द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग से और तदुपरांत 29 मार्च को लिखित रूप से दिये गये इस निर्देश के उपरांत निरस्त किये गये हैं कि ‘‘जिन राशन कार्डधारियों के पास आधार नहीं है, उनके राशन कार्ड रद्द कर दिये जाए.’’ चूंकि नया राशन कार्ड जोड़ने अथवा पहले बने राशन कार्ड को निरस्त करने के लिये बने कंप्यूटर सिस्टम में किसी का आधार नहीं रहने के कारण उसका राशन कार्ड रद्द कर देने का विकल्प नहीं है, इसलिए यह पता करना मुश्किल हो रहा है कि बिना आधार वाले राशन कार्डधारियों के राशन कार्ड निरस्त करने के लिये क्या विकल्प अपनाया गया है.
सरयू राय ने बताया कि विगत 8 फरवरी 2018 को मुख्यालय में आहूत जिला आपूर्ति पदाधिकारियों की मासिक बैठक में भी यह सवाल उठा था. विगत कई महीनों से वे स्वयं यह जानकारी विभाग से प्राप्त करने की चेष्टा कर रहे थे. इस बैठक में पुनः जिला स्तरीय अधिकारियों को यह बताने का निर्देश दिया गया कि अबतक निरस्त किए गये राशन कार्डों में से कितने राशन कार्ड किस कारण से निरस्त किये गये हैं. इन अधिकारियों के सामने संकट है कि जो राशनकार्ड, आधार नहीं होने की वजह से मुख्य सचिव के निर्देशानुसार निरस्त किये गये हैं, उनका कारण ये क्या बतायें?
उपर्युक्त विषयक संदर्भ के अनुसार भारत सरकार जिस पारदर्शी तरीका से लोकोपयोगी योजनाओं में आधार के उपयोग से होने वाली बचत के संबंध में ठोस सूचना संग्रह कर रही हैं उसके मद्देनजर विभागीय अधिकारियों एवं कर्मियों के समक्ष असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है कि राज्य में विशेषकर राशन वितरण व्यवस्था में इस लाभ की ठोस एवं विश्वसनीय सूचना का संग्रह किस भांति करें. ऐसी स्थिति केवल इसलिये उत्पन्न हो गई है कि 27 मार्च 2017 को मुख्य सचिव ने तत्कालीन विभागीय सचिव की उपस्थिति में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देश दे दिया कि ‘‘जिन राशन कार्डधारियों का आधार नहीं है, उनके राशन कार्ड रद्द कर दिये जाए.” इसके बाद 29 मार्च 2017 को इन्होंने इस आदेश की लिखित प्रति भी कारवाई के लिये विभागीय सचिव को भेज दिया.
उन्हें जानकारी मिली तो उन्होंने 6 अप्रैल 2017 को सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश और केन्द्र सरकार के प्रासंगिक परिपत्र का हवाला देते हुए विभागीय सचिव को निर्देश दिया कि जिनके पास आधार नहीं है उन्हें भी राशन की सुविधा देनी है. उनके इस निर्देश के बावजूद विभाग के अधीनस्थ अधिकारियों को जांचोपरांत आधार विहीन राशन कार्डों को निरस्त करने संबंधी परिपत्र भेज दिया गया जिसके अनुपालन में अधीनस्थ अधिकारियों ने वैसे राशन कार्डों को निरस्त करने की कार्रवाई की जिनके धारकों का आधार नहीं जमा हुआ था.
निर्दलीय विधायक ने बताया कि मुख्य सचिव द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग में दिए गये ऐसे निर्देश का संशोधन नहीं हुआ तो कुछ दिन बाद एक अलग संचिका खोलकर मुख्य सचिव का यह आदेश रद्द करने की घोषणा उन्हें करनी पडी. परंतु मुख्य सचिव और तत्कालीन विभागीय सचिव द्वारा 27 मार्च 2017 की वीडियो कांफ्रेंसिंग में दिये गये निर्देश, 29 मार्च 2017 के लिखित निर्देश और इसके अनुपालन में कृत कारवाई के बारे में स्पष्टीकरण नहीं दिया गया. यह नहीं बताया गया कि ऐसा निर्देश देने का कारण क्या है? ऐसा निर्णय उन्हें किस परिस्थिति में लेना पड़ा? और मेरे द्वारा सूचित किए जाने के बाद भी इन्होंने अपने निर्देश में सुधार क्यों नही किया? किस कारण मुझे जानकारी दिए बिना इनलोगों ने 1000 दिन की सरकार की उपलब्धियों में शामिल कर दिया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू होने के उपरांत 11.30 लाख राशन कार्ड निरस्त किये गये हैं, जिस कारण सरकार को करोड़ों रूपये की बचत हुई है?
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उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय और भारत सरकार के निर्णय के विपरीत इनके इस निर्देश का नतीजा हुआ है कि अनेकों वैसे पात्र राशन कार्डधारियों के वैध राशन कार्ड रद्द हो गये हैं, जिसका पता करना विभाग के लिये मुश्किल हो रहा है.
ऐसे में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहमत होंगे कि राज्य के शीर्ष एवं जिम्मेदारी के पदों पर बैठे ऐसे अधिकारियों का यह आचरण विधि-विधान एवं स्वस्थ प्रशासनिक मानदंडों के अनुरूप नहीं है.