जमशेदपुर: भाजपा के बागी और जमशेदपुर पूर्वी से मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ रहे सरयू राय ने 86 बस्तियों को मालिकाना हक देने का मुद्दा उठाया है. इस मामले में उन्होंने सीएम को घेरते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने दास को मुख्यमंत्री पद से तत्काल हटाने और इन बस्तियों के लोगों को मालिकाना हक देने देने के लिए पहल करने की मांग की है.
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में राय ने कहा है कि हाल ही में आपकी मंत्रिपरिषद ने दिल्ली की 1731 बस्तियों को मालिकाना हक देने का निर्णय लिया है. लोकसभा के इसी सत्र में यह विधेयक पारित होने की संभावना है. जमशेदपुर में 86 बस्तियों को मालिकाना हक देने की मांग विगत 20 वर्षों से उठ रही है. राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री और जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी रघुवर दास इस मुहिम के अगुवा रहे हैं. वर्ष 2005 में जब टाटा लीज समझौते का नवीकरण हुआ, तब 17 सौ एकड़ में फैली इन बस्तियों को यह तर्क देते हुए टाटा लीज से अलग किया गया कि इन्हें मालिकाना हक दिया जायेगा. वर्ष 2006 में बस्तियों का सर्वेक्षण भी आरंभ हुआ. विगत सभी चुनावों में भाजपा की ओर से उठाया जानेवाला यह एक प्रमुख विषय रहा है, परंतु अचानक जमशेदपुर पूर्वी से भाजपा के प्रत्याशी रघुवर दास ने पिछले कुछ महीनों से सार्वजनिक रूप से कहना आरंभ किया कि बस्तियों को मालिकाना हक देना उनका मुद्दा कभी नहीं रहा है. इन बस्तियों को मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता है.
राय ने कहा है कि दास की इस बदली हुई बोली से बस्ती वासियों में आक्रोश है. एक ओर प्रधानमंत्री दिल्ली की 1731 बस्तियों को मालिकाना हक देने के लिए कानून बना रहे हैं. दूसरी ओर राज्य के मुख्यमंत्री यह कहते हैं कि जमशेदपुर की 86 बस्तियों को मालिकाना हक देना संभव नहीं है. मुख्यमंत्री ने यह कहकर जमशेदपुर की जनता के साथ वादाखिलाफी की है. राय ने कहा कि जनता के साथ छल और कपट करने वाले मुख्यमंत्री को हटाए और जमशेदपुर की 86 बस्तियों को मालिकाना हक देने की घोषणा अपनी 3 दिसंबर की चुनावी सभा में करें.
राय ने लिखा है कि वर्ष 2005 में 86 बस्तियों को टाटा लीज से अलग किया गया और इसका सर्वे कराया गया. उस समय भी मैंने कहा था कि बिना कानून बनाये इन बस्तियों में रहनेवाले लोगों को मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता. मैंने काफी प्रयास किया कि सरकार इसके लिए विधानसभा में विधेयक लाये. सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई तो मैंने 86 बस्तियों को मालिकाना हक देने संबंधी निजी विधेयक दिनांक 10.02.2006 को विधानसभा में प्रस्तुत किया ताकि भारतीय जनता पार्टी सहित सभी दलों का समर्थन इस विधेयक को मिल सके. परंतु दुर्भाग्य की बात है कि झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री, जो उस समय राज्य के वित्त एवं नगर विकास मंत्री थे, ने इस विधेयक का समर्थन नहीं किया.