बिहार(मुंगेर): विधानसभा चुनाव से पहले मुंगेर में मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन में पुलिस व जनता की भिड़ंत में एक लोग के मरने व 20 लगभग लोगों के घायल होने की बात सामने आई थी.वहीं यह मामला अब तूल पकड़ने लगा. जिसे लेकर अब बेंगलुरु की वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डी रूपा ने मुंगेर की एसपी को उनका कर्तव्य याद दिलाया है. सोशल मीडिया पर लोग लिपि सिंह की तस्वीर शेयर कर के उनकी तुलना जनरल डायर तक से कर रहे हैं. वहीं कर्नाटक सरकार की गृह सचिव डी रूपा ने सीधा आरोप लगाया कि मुंगेर में मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के दौरान लोगों को काबू में करने के लिए पुलिस द्वारा तमाम नियम-क़ानूनों की धज्जियां उड़ाई गई हैं.
डी रूपा ने मुंगेर की एसपी लिपि सिंह को सीआरपीसी की धाराओं की याद दिलाते हुए कहा कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस के न्यूनतम बल का उपयोग किया जाना चाहिए. साथ ही याद दिलाया कि भीड़ द्वारा अवरोध पैदा करने पर फोर्स की उचित संख्याबल का भी निर्धारण किया जाता है. उन्होंने नियम समझाते हुए कहा कि पुलिस को गोली चलाने से पहले चेतावनी देनी चाहिए, या फिर आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल करना चाहिए. उन्होंने इस बात पर दुःख जताया कि मुंगेर में इनमें से किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया. मुंगेर में हुई घटना को लेकर विपक्षी दलों और जनता ने भी पुलिस को दोषी ठहराया है. वायरल हुए वीडियो के आधार पर पुलिस को ही इस घटना के लिए दोषी माना जा रहा है.
वहीं पूरे घटनाक्रम की बात करें तो मुंगेर शहर के दीनदयाल उपाध्याय चौक पर देर रात चल रहे प्रतिमा विसर्जन समारोह के दौरान पुलिस बल और पब्लिक के बीच हिंसक झड़प हुई थी.जिस पर मुंगेर डीएम राजेश मीणा और एसपी लिपि सिंह ने इस मामले में सफाई भी दी थी.उन्होंने घटना के दो अलग-अलग वीडियो क्लिप जारी किए थे.एसपी लिपि सिंह ने कहा कि विसर्जन के दौरान असामाजिक तत्वों ने पुलिस पर पथराव कर दिया था, जिसमें करीब 20 जवान घायल हो गए और एक पुलिस अधिकारी को गंभीर चोट आई. वहीं घटना को लेकर विपक्षी दलों और जनता ने इस मामले में पुलिस को दोषी ठहराया था. पर वायरल हुए वीडियो के आधार पर पुलिस को ही इस घटना के लिए दोषी माना जा रहा है.