नई दिल्लीः सीएए और एनआरसी वर्तमान में सबसे ज्वलंत मुद्दे हैं जिसपर देशभर के अलग हिस्सों मे अलग अलग तरीके से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा तो कहीं समर्थन किया जा रहा इसी बीच शशि थरुर ने ट्वीट कर इस्लामी नारों का विरोध किया.
ला इलाहा इल्लल लाह ये वो नारे हैं, जो कथित तौर पर नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हो रहे एक प्रदर्शन में लगाए जा रहे थे.
ला इलाहा इल्लल लाह अरबी भाषा के शब्द हैं जिसका मतलब है अल्लाह के सिवाय कोई और ईश्वर नहीं है. ये विवाद तब और बढ़ गया जब कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इसे रिट्वीट करते हुए लिखा कि ”हिंदुत्व अतिवाद के ख़िलाफ़ हमारी लड़ाई में इस्लामी अतिवाद को भी कोई जगह नहीं मिलनी चाहिए.
जो लोग नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में अपनी आवाज़ उठा रहे हैं, वो एक समावेशी भारत के लिए लड़ रहे हैं.
हम किसी भी तरह की धार्मिक कट्टरता को अपनी विविधता और बहुलवाद की जगह नहीं आने देंगे.” शशि थरूर के इस ट्वीट के बाद ट्विटर पर #ShashiTharoor #Hindutva और #Islam ट्रेंड होने लगे.
Our fight against Hindutva extremism should give no comfort to Islamist extremism either. We who’re raising our voice in the #CAA_NRCProtests are fighting to defend an #InclusiveIndia. We will not allow pluralism&diversity to be supplanted by any kind of religious fundamentalism. https://t.co/C9GVtB9gIa
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) December 29, 2019
सोशल मीडिया पर इस बारे में बहस छिड़ गई और अलग-अलग राय सामने आने लगी. थरूर के ट्वीट के जवाब में आयेशा सिद्दीक़ा ने लिखा, “कौन कहता है कि ‘ला इलाहा इल्लल लाह’ अतिवाद है. कम से कम वो तो समझने की कोशिश कीजिए कि आम मुसलमान कहता क्या है.
अतिवाद से इसका कोई लेना-देना नहीं है.” विरोध प्रदर्शनों और आंदोलनों में धार्मिक नारों को लेकर अक्सर काफ़ी विवाद होता रहा है.
पश्चिम बंगाल में जय श्रीराम के नारे को लेकर हुई राजनीति इसका ताज़ा उदाहरण है.भारत के अलग-अलग हिस्सों में पिछले कई दिनों से लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
इन प्रदर्शनों के दौरान काफ़ी अलग और रचनात्मक नारों का इस्तेमाल देखा जा रहा है.