रांची: सत्कर्म की सत्य शिक्षा तो केवल परमात्मा सदाशिव भगवान ही देते हैं. विकारग्रस्त विश्व के अज्ञान अंधकार को मिटाकर शिव ही प्रकाशमय बनाते हैं. ये उद्गार ब्रह्माकुमारी संस्थान में शिव अवतरण के रहस्य आध्यात्मिक कार्यक्रम का दीप जलाकर उद्घाटन करते हुए सुशीला सरावगी, समाज सेवी ने व्यक्त किए.
इस अवसर पर शिव झंडोतोलन भी किया गया. कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने ने कहा कि ज्ञान सागर परमात्मा शिव से अमृत कलश प्राप्त करके अज्ञानता से ग्रस्त नर-नारियों को अमर पद दिलाने की ईश्वरीय सेवा करने के कारण भारत में शिव शक्तियों का गायन होता है. आज इसी बात को समझने और धारण करने की आवश्यकता है कि भौतिकज्ञान के साथ-साथ आध्यात्मिक ज्ञान को भी उचित स्थान दिया जाए. नैतिक मूल्यों की समाज में आवश्यकता के साथ-साथ मनोयोग व बुद्धियोग भी व्यक्तिगत जीवन में जरूरी है. मनोयोग ईश्वर के साथ जोड़ने से ही मनुष्य में दिव्य गुणों का उत्कर्ष होगा. मन में विवेक उदय होकर आत्मा परमात्मा के सम्मुख होगी तथा श्रेष्ठ कर्म होने लगेंगे.
अनिल अग्रवाल, अभियंता, रांची विश्व विद्यालय ने कहा आध्यात्म का लक्ष्य तो आत्मा का कल्याण ही है और कल्याण का वाचक तो शिव शब्द ही है. संकटमोचन महाकालेश्वर शिव ने मानवता के कल्याण के लिए हलाहल पान किया था. आज वह जीवन में दुःख व अशांति पैदा करने वाले काम क्रोध रूपी विकारों के विष को पी रहे हैं. आत्म विस्मृति से पुनः आत्म स्मृति में मानवो को लाना ही शिव द्वारा उद्घोषित आध्यात्मिक क्रांति का लक्ष्य है व इसमें ही मानव की सर्व समस्याओं का समाधान है. राजयोग से ही मानव मन की विकृतियों का शुद्धीकरण होता है. सुन्दर समाज का निर्माण अन्दर की विकृतियों के नाश के लिए
निर्मला बहन ने कहा शिव का स्मृति चिह्न शिवलिंग के रूप में सर्वत्र सर्व धर्मावलम्बियों द्वारा मान्य है.
शिव योगेश्वर हैं-शंकर योगमूर्ति हैं. आज कलयुग की महारात्रि चल रही है. इस समय आत्मा को ज्ञान द्वारा जाग्रत करना ही जागरण है. इस जागरण से ही सच्ची सामाजिक क्रांति आयेगी और कलियुगी विश्व व्यवस्था परिवर्तित होकर दैवी निर्विकारी वास्तविक स्वराज्य की स्थापना होगी.
ब्रह्माकुमारी राजयोगिनी निर्मला ने कहा आज सभी ओर से यह आवाज उठ रही है कि यह जगत के उद्धारक के प्रकट होने का और सृष्टि तथा मानवता के सर्व कल्याण सम्पादित होने का समय है. तमोगुणी जड़ता को भेदकर ज्ञान सूर्य शिव पिता परमात्मा के अवतरण का यही यथार्थ समय है. तमोगुणी दुःखी व अशांत सृष्टि के परिवर्तन की भूमिका अब तैयार हो गयी है.
यह ऐसा समय है जब हम शिव पिता परमात्मा का संदेश संसार की मनुष्यात्माओं को सुना सकेंगे. विश्व का परिवर्तन कई प्रकार के मानवी कुकृत्यों व दैवी आपदाओं का मिला जुला फल होगा. जब सभी आत्माओं के वापिस जाने का समय आ जाता है तभी सुदूर देश वासी शिव युग चक्र को पलटाने के लिए सक्रिय हो उठते हैं.
रूहों की करूण पुकार उन्हें आने के लिए वाध्य कर देती है. शिव की इस धरा पर ज्ञानगंगा बहाते हुए 84 वर्ष हो गये हैं व अनेकों के पाप मिटाते हुए एक अलौकिक शक्ति सेना उन्होंने तैयार कर दी है जो आने वाले थोड़े ही समय में सृष्टि का कायाकल्प कर देगी. अनेकानेक गण्यमान्य नागरिकों ने मुक्त हस्त से शिव ध्वज से दिव्य वरदान प्राप्त किए. ज्ञातब्य हो केन्द में प्रातः 8 से 9:30 तथा संध्या 4:30 से 6:30 तक राजयोग सत्रों का निःशुल्क आयोजन है.