भोपाल: मप्र में मंत्रिमंडल विस्तार के संभावित नामों को लेकर प्रदेश स्तर पर सहमति बन गई है. नए चेहरों में प्रेम सिंह पटेल, चेतन कश्यप, मोहन यादव और अरविंद भदौरिया के नाम हैं.
जबकि शिवराज सिंह की पुरानी टीम से गोपाल भार्गव, विजय शाह, गौरीशंकर बिसेन, यशोधरा राजे, राजेंद्र शुक्ला, रामपाल सिंह और भूपेंद्र सिंह ठाकुर को सूची में शामिल किया गया है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रविवार को दोपहर बाद दिल्ली जा सकते हैं. जहां उनकी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष से मुलाकात होगी. इसमें मप्र में तय किए गए नामों को अंतिम रूप दिया जाएगा. इससे पहले वे दिल्ली में मप्र के चुनिंदा नेताओं से भी बात कर सकते हैं.
इधर, पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख व संघ की ओर से मप्र के पालक अधिकारी बनाए गए अरुण कुमार और क्षेत्रीय प्रचार दीपक विस्पुते को जानकारी दे दी है. साथ ही संभावित नामों की सूची भी तैयार कर ली.
मुख्यमंत्री और पार्टी की ओर से संकेत हैं कि दिल्ली में सीनियर नेताओं मुलाकात के बाद 30 जून को मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है. शनिवार को देर शाम भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत के बीच भी बात हुई.
इसके बाद यह नेता मंत्रालय में मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे. यहां इनके बीच देररात तक मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर दिल्ली के सामने रखे जाने वाले पक्ष पर चर्चा हुई. उनके तिरुपति दौरे से लौटने के बाद ही सियासी गतिविधियां तेज हुई.
यहां बता दें कि मंत्रिमंडल विस्तार मई के आखिर व जून के पहले सप्ताह में संभावित था, जिसमें पहले ही विलंब हो चुका है. मुख्यमंत्री का तकरीबन चार बार दिल्ली दौरा टला है, लेकिन मानसून सत्र की घोषणा के बाद अब मंत्रिमंडल विस्तार की संवैधानिक बाध्यता बढ़ गई है.
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता व सांसद विवेक तन्खा का कहना है कि बिना कैबिनेट के बजट का अनुमोदन नहीं हो पाएगा. संविधान के अनुच्छेद 164 (1ए) के अनुसार मंत्रिमंडल में कम से कम 12 मंत्रियों का होना जरूरी है, लेकिन मुख्यमंत्री को आपातकालीन शक्तियां भी मिली हैं.
संसदीय मामलों के जानकार सुभाष कश्यप का कहना है कि अभी मुख्यमंत्री के साथ पांच मंत्री हैं. मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे कम से कम 12 मंत्री बनाएं, लेकिन बजट के अनुमोदन का जहां तक प्रश्न है तो यह गैर संवैधानिक नहीं है. पांच मंत्रियों के साथ भी यह हो सकता है. बात सिर्फ औचित्य की है. इसलिए मंत्रिमंडल विस्तार होना चाहिए.
मंत्रिमंडल में चार से पांच पद रिक्त रखने पर प्रदेश स्तर से सहमति बन गई है. बसपा से संजीव कुशवाह और निर्दलीय प्रदीप जायसवाल को भी मंत्रिमंडल में लिए जाने पर विचार हुआ, लेकिन यह दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार तक टल सकता है.
हालांकि, इसका निर्णय भी केंद्र को लेना है. अभी मुख्यमंत्री और पांच मंत्री मिलाकर छह हैं, जबकि मुख्यमंत्री को मिलाकर 35 संख्या हो सकती है.
इंदौर से मेंदोला या मालिनी- 9 और सिंधिया समर्थकों के सूची में हैं नाम-
भोपाल से विश्वास सारंग, रामेश्वर शर्मा. इंदौर से रमेश मेंदोला और मालिनी गौड़ में से कोई एक.
संजय पाठक, अजय विश्नोई, नागेंद्र सिंह नागोद, जगदीश देवड़ा, बृजेंद्र सिंह, हरिशंकर खटीक के भी नाम.
उज्जैन से पारस जैन, रायसेन से सुरेंद्र पटवा, करण सिंह वर्मा और जालम सिंह पटेल पर प्रदेश में सहमति नहीं, दिल्ली पर छोड़ा निर्णय.
कांग्रेस से भाजपा में आए महेंद्र सिंह सिसोदिया, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, प्रभुराम चौधरी, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, एंदल सिंह कंसाना, हरदीप डंग, रणवीर जाटव और बिसाहूलाल सिंह के भी नाम सूची में हैं.