धनबाद: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की प्रतीक्षा में धनबाद जिले की झरिया अंचल के भौरा गांव की रहने वाली 72 वर्षीय सरस्वती देवी पिछले 30 वर्षों से भी अधिक समय से मौनव्रत का पालन कर रही है. 5 अगस्त को अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राम मंदिर के लिए भूमिपूजन और आधारशिला रखे जाने पर सरस्वती देवी के चहरे पर चमक जरूर आयी है, लेकिन तीन वर्ष बाद मंदिर निर्माण हो जाने पर ही उन्होंने अपना व्रत तोड़ने का संकल्प लिया है.
सरस्वती देवी के परिजन वर्षा से उनकी आवाज सुनने के लिए बेहद लालायित हैं. कई बड़े समारोह घर-परिवार में हुए, लेकिन वह अपने परिजनों से सिर्फ और सिर्फ इशारों में ही बात करती हैं. वहीं उनके पोते पीयूष अग्रवाल का कहना है कि बचन से ही उन्होंने अपनी दादी को कुछ बोलते हुए नहीं सुना है.
72 वर्षीय सरस्वती देवी के पुत्र हरिराम अग्रवाल का कहना है कि उनकी रामजन्म भूमि के अध्यक्ष नित्य गोपाल दास के पास अक्सर जाया करती थी. उनकी संगति के कारण ही अयोध्या में मंदिर निर्माण की बाधाओं को दूर करने के लिए मौन व्रत धारण करने की इनकी इच्छा प्रकट हुई. सरस्वती देवी चित्रकूट में कल्पवास में रह चुकी है. घर पर बहुत ही कम रही है. अक्सर तीर्थ स्थालों में ही इनका जीवन बीता है. मंदिर की भूमि पूजन की खबर सुनकर वह नृत्य करने लगी और काफी खुशी उनके चेहरे पर झलकने लगी. रामजन्म मन्दिर की भूमि पूजन पर बेटे एवं परिजनों ने उन्हें मौन व्रत तोड़ने को कहा. लेकिन उन्होंने इशारे में बताया कि मंदिर का निर्माण पूर्ण रूप से होने के बाद मंदिर के अंदर जाकर ही मौन व्रत तोडेंगी.
परिजनों का कहना है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मन्नत को लेकर वह देश के कई तीर्थ स्थलों पर जाकर मत्था टेक चुकी है. सरस्वती देवी के परिजनों में इस बात को लेकर खुशी है कि भूमि पूजन और आधारशिला रखे जाने के साथ ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो चुका है और जल्द ही सरस्वती देवी का मौन व्रत टूटेगा और वे उनकी आवाज को सुन पाएंगे.