रवि सिंह
यूपी : भारत नेपाल के रोटी- बेटी के रिश्ते पर पहली बार सरहदों पर पहरा लगा था. लेकिन बहनों ने आज सारी बंदिशे तोड़कर भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए भारत से नेपाल गई और नेपाल से भारत आई.
सरहद की रखवाली में जुटे सुरक्षा एजेंसियां भी इनके प्यार की डोर के आगे कमजोर पड़ गए.
भारत से नेपाल के बीच आवागमन पर लगे प्रतिबंध के कारण दोनों देशों में रहने वाली बहने बीते कल तक काफी उदास और मायूस रही थी. कोरोना के बहाने सरहदों पर पहरे लगाने वाली यह सरकार आवागमन को रोक तो सकती है. लेकिन आज भाई बहन के रिश्ते और दिलों से जुड़ने से नहीं रोक पायी.
बहनों ने आज सोमवार की सुबह सरहद के सारे बंदिशे तोड़ते हुए भारत से नेपाल गई और नेपाल से भारत आई.
बहनों के उत्साह और वचनबद्धता को देखते हुए सरहद पर तैनात जवान भी उनके सामने झुक गये.
भाई-बहन के प्यार के प्रतीक रक्षाबंधन पर्व पर इस बार भारत- नेपाल की वैमनस्यता सरहद पर दीवार बन के खड़ी हो गई. लाख प्रयास के बाद भी रक्षा बंधन पर्व पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बांध पाएंगी, ऐसा प्रतीत हो रहा था। लेकिन बहनों के प्यार ने वह सारे बंदिशों को तोड़ दिया.
बता दे कि भारत व नेपाल के बीच सदियों से चल रहे रोटी-बेटी के रिश्ते में सरहद कभी बाधा नहीं बनी थी. लोग सुगमता से एक दूसरे देश में जाकर हर रस्मो- रिवाज को पूरा करते थे. रक्षा बंधन पर्व पर तो सीमा गुलजार रहती थी.
एक दूसरे देश में लड़के- लड़कियों की शादी होने के कारण बहनें सीमा पार घर पहुंच कर भाइयों की कलाई सजाती थीं. यहां तक की नेपाल मूल की तमाम बहाने भारत में स्थित अपने मुह बोले भाइयों को विधि विधान के साथ राखी बांधी थी.
कल तक ऐसा लग रहा था भाइयों की कलाई पर बहाने राखी नहीं बाध पाएंगी. किंतु बहनों के प्यार के आगे सारे बंदिशें से टूट गई. बहनों ने दोनों देशों में भाइयों के कलाइयों पर राखी बात कर अपने सुरक्षा का वचन लिया.