मोहाली(पंजाब): रिश्तों में पड़ रही दरारों के लिए सोशल मीडिया का है बहुत बड़ा योगदान ये कहना है पंजाबी सूफी गायक सतिंदर सरताज का . उन्होंने कहा की सोशल मीडिया हमारी जिंदगी में बहुत कुछ है, मगर सब कुछ नहीं. चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के साथ टॉक शो में मंगलवार को सतिंदर सरताज ने संगीत, शायरी और थिएटर क्षेत्र की बारीकियों तथा अपनी जिंदगी के अनुभव युवाओं के साथ सांझे किए. उन्होंने सोशल मीडिया के बारे में विद्यार्थियों को जागरूक करते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर यह अच्छा बदलाव है, बशर्ते इसके प्रयोग के लिए कुछ सीमाएं निर्धारित कर ली जाएं. सरताज ने कहा कि मौजूदा दौर में रिश्तों में पड़ रही दरारों के लिए सोशल मीडिया का बहुत योगदान है.
सतिंदर सरताज ने कहा कि हमें सभी को एक समान नजर से देखना चाहिए. इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी धार्मिक स्थल, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च समानता का प्रतीक है. हर मनुष्य धार्मिक स्थान पर बराबर व सकारात्मकता का एहसास करता है. वहीं सरताज ने कहा कि सिंगर, अभिनेता तथा निर्देशकों को सलाह हमेशा आम आदमी से लेनी चाहिए, तभी वे बिना फायदे व नुकसान के डर से सच बताएंगे. उन्होंने स्टूडेंट लाइफ के बारे में बात करते हुए कहा कि यह समय जिंदगी का बहुत महत्वपूर्ण समय होता है.
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छोटे-छोटे अनुभवों से सीख कर व मेहनत व शिक्षा को व्यावहारिक तौर पर प्रयोग कर आगे बढने का प्रयास करना चाहिए. सरताज ने कहा कि स्टूडेंट भविष्य के निर्माता हैं. समाज को हर क्षेत्र में हो रहे बदलाव को स्वीकारना चाहिए. स्टूडेंट के एक सवाल पर उन्होंने कहा कि सच्ची कविताएं व शायरी जिंदगी के अनुभवों से उत्पन्न एक एहसास है. स्टूडेंट्स को उदाहरण देकर समझाते हुए सरताज ने कहा कि जिस तरह एक बीज को पेड़ बनाने में समय, मौसम और वातावरण की भूमिका होती है, उसी तरह शायरी आपके अनुभवों से पनपे अंदरूनी एहसास हैं, जिन्हे आप लफ्जों का रूप देते हैं.
सतिंदर सरताज ने बताया कि उनकी नई फिल्म सामाजिक पहलुओं का आइना है, जिसमें पति-पत्नी के रिश्ते को गहराई से समझने का प्रयास किया गया है. फिल्म में पति-पत्नी एक-दूसरे की जिंदगी की चुनौतियों, समस्याओं व हर अच्छे-बुरे अनुभव को समझने का प्रयास कर सामाजिक मानसिकता को बदलने का प्रयास करते नजर आते हैं.