सोनिया से दस जनपथ पर चर्चा के बाद कमलनाथ ने पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश कांग्रेस के नेताओं से जुड़े विवाद को केंद्रीय अनुशासन समिति को सौंपे जाने की बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि एके एंटनी दोनों पक्षों की शिकायतों की जांच-पड़ताल कर उचित फैसला लेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष ने दोनों पक्षों की शिकायतों के साथ मुख्यमंत्री की रिपोर्ट भी एंटनी समिति को भेज दी है। कमलनाथ ने भी स्वीकार किया कि सभी पक्षों की रिपोर्ट अनुशासन समिति के प्रमुख के हवाले कर दी गई हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस मुलाकात के और भी कई मायने हैं जैसे हाईकमान जहां सूबे के मंत्रियों और नेताओं की बयानबाजी से खफा है। वहीं सरकार के संचालन में बाहरी नियंत्रण की शिकायतों को लेकर भी गंभीर है। कमलनाथ-दिग्विजय के विरोधी खेमे की ओर से मिली शिकायतों के तथ्यों से हाईकमान को शासन पर बाहरी प्रभाव की बात पूरी तरह बेमानी नहीं लग रही।
बीते कुछ महीनों से अध्य प्रदेश कांग्रेस से परेशां कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सख्त रूख अपनाते हुए बड़बोले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के इरादे साफ कर दिए हैं। सूबे के नेताओं-मंत्रियों के बीच चल रही खुली जंग पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को साफ कर दिया कि दोनों पक्षों की ओर से की जा रही अनुशासनहीनता कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मौजूदा विवाद को वरिष्ठ नेता एके एंटनी की अगुआई वाली केंद्रीय अनुशासन समिति को जांच के लिए भी सौंप दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को भी दो टूक संदेश दे दिया कि सरकार के संचालन में बाहरी दखल की शिकायतें ठीक नहीं है।
कांग्रेस नेतृत्व के तेवरों से साफ है कि प्रदेश सरकार की बिगड़ रही छवि दुरूस्त करने के लिए वह दोनों गुटों के नकारात्मक पहलूओं को लेकर गंभीर हैं। मध्यप्रदेश कांग्रेस के घनघोर विवाद पर नेतृत्व से चर्चा करने दिल्ली पहुंचे मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार शाम सोनिया गांधी से मुलाकात की।
इस विवाद की जड़ में मध्यप्रदेश कांग्रेस के नये अध्यक्ष की नियुक्ति भी शामिल है। ज्योतिरादित्य सिंधिया इस पद के दावेदारों में गिने जा रहे हैं। जबकि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का खेमा बाला बच्चन सरीखे अपने समर्थक किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपने के पक्ष में है। ऐसे में विवाद का समाधान निकालने के फार्मूले में नये प्रदेश अध्यक्ष का ‘चेहरा’ भी शामिल होगा।
सोनिया ने अपनी चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री को इस ओर इशारा करते हुए साफ कर दिया कि प्रदेश सरकार और संगठन का मसला किसी का निजी मामला नहीं। हाईकमान ने इसके जरिए सरकार के संचालन में दिग्विजय सिंह के हस्तक्षेप की शिकायतों को लेकर मुख्यमंत्री को एक तरह से सचेत कर दिया। हाईकमान को ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके करीबी प्रदेश सरकार के मंत्री उमंग सिंघार की घर के विवाद को सड़क पर लाने का रवैया भी नागवार लगा है। इसीलिए दोनों पक्षों को कसने के लिए वरिष्ठ नेता एंटनी को विवाद जल्द थामने का जिम्मा सौंपा गया है।
हालांकि दिग्विजय सिंह ने सोनिया गांधी से गुरूवार को हुई मुलाकात में अपना पक्ष रखते हुए शासन में किसी तरह का दखल नहीं देने की सफाई दे दी थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों की बात भी हाईकमान तक पहुंच चुकी है। इसीलिए उम्मीद की जा रही है कि एंटनी समिति जल्द दोनों पक्षों को सख्त निर्देश के साथ सुलह का दिशा-निर्देश तय करेगी।