रांची: झारखंड विधानसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने कहा कि संसदीय व्यवस्था में स्पीकर का पद आरंभ से ही निष्पक्षता का पर्यायवाची मानने की परंपरा रही है, वे इस उच्च प्रतिमान का पालन करेंगे.
विधानसभा अध्यक्ष ने अपने पहले उद्बोधन में कहा कि सदन से बाहर की दुनिया में भले की उनकी पहचान झारखंड मुक्ति मोर्चा के सदस्य के रूप में बनी रहेगी, लेकिन सदन के भीतर उनके लिए न्याय के तराजू पर पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों का पलड़ा बराबर रहेगा. उन्होंने कहा कि राजनीति में उन्होंने अपने कद को हमेशा छोटा समझा है, इस सभा में वे अपने तीसरे कार्यकाल के लिए निर्वाचित होकर आये है, लेकिन ऐसे सदस्यों की संख्या कम नहीं है, जिनका राजनीतिक कार्यकाल विधायक और सांसद के रूप में उनकी तुलना में बहुत ज्यादा लंबा रहा है. अपने पद से जुड़े दायित्वों के निर्वहन में ऐसे तमाम वरीय सदस्यों के मार्गदर्शन की वे अपेक्षा करते है.
रवींद्रनाथ महतो ने कहा कि उनके लिए यह सौभाग्य की बात है कि सदन में दो ऐसे सदस्य मौजूद है, जिन्होंने अध्यक्ष को संपूर्ण निष्ठा से संभालने का काम किया है. संयोग से इनमें से एक आलमगीर आलम सत्तापक्ष में और दूसरे सीपी सिंह प्रतिपक्ष में है. अध्यक्ष के रूप में इन दोनों का कार्यकाल शानदार रहा है. विपरीत परिस्थितियों में इनके द्वारा लिये गये निर्णय उनके लिए भी नजीर के समान होगा. उन्होंने कहा कि दो महत्वपूर्ण अवसरों पर प्रोटेम स्पीकर के रूप में इस सभा में काम कर चुके स्टीफन मरांडी उनके अग्रज के समान है. उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी इस राज्य के पहले मुख्यमंत्री रहे है, इस पांचवीं विधानसभा के लिए निर्वाचित होकर आज वे सभा में है, न्याय और विवकेयुक्त आचरण इनकी विशेषता है.