देवघर: उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने विश्व जल दिवस को लेकर जिलावासियों से अपील करते हुए कहा कि वर्तमान में जल की महत्ता और आवश्यक को देखते हुए हर घर में वर्षा जल संचयन तकनीक और सोख्ता का निर्माण महत्वपूर्ण है, ताकि गिरते भूजल स्तर को पुनः रिचार्ज किया जा सके.
आज से कुछ सालों पहले तक यह स्थिति हुआ करती थी कि छोटे- छोटे गांवों में नदी, नहर और तालाब दिखाई पड़ते थे. अतिवृष्टि होने पर गांव के गांव जलमग्न हो जाया करते थे. आज स्थिति यह है कि धीरे-धीरे सारे ताल-तलैया सूखते जा रहे हैं. यह तो बात हुई उस देश की जहां हम निवास करते हैं, जहां पीने योग्य जल की उपलब्धता है. विश्व में कई सारे देश ऐसे हैं, जहां पीने का स्वच्छ जल न होने के कारण लोग जीवन त्याग देते हैं. दूसरी ओर ये कहना गलत नही होगा कि मनुष्य पानी की महत्व को भूलता जा रहा है, जिसके चलते आज जल संकट एक बड़ी समस्या बन कर हमारे सामने आई है.
इसके अलावे उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने लोगों से आग्रह करते हुए कहा है कि आगामी 01 अप्रैल से नगर निगम क्षेत्र के सभी वार्डों विशेष अभियान के माध्यम से लोगों को जागरूक करते हुए वर्षा जल संचयन व अपने घरों में सॉकट फीट का निर्माण को लेकर विशेष अभियान शुरू किया जाएगा, ताकि नगर निगम क्षेत्र के जॉन 02 और जॉन 01 क्षेत्र के सभी घरों में सॉकट का निर्माण कराना सुनिश्चित किया जा सके. जल के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है. इसलिए पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए पानी का संरक्षण जरूरी है. इस हेतु वर्षा जल संचयन करना सबसे आसान व कारगर तरीका माना जाता है. ऐसे में आवश्यक है कि जल की एक-एक बूंद के महत्व के प्रति एक दूसरे को जागरूक करें और वर्षा जल संचयन को घरों में संग्रहित करने की व्यवस्था को सुदृढ़ करें. सबसे महत्वपूर्ण वर्तमान में हम सभी को मिलकर पुराने जलस्त्रोतों, तालाबों के रखरखाव, साफ सफाई के बारे में भी जागरूक करने की आवश्यकता है, ताकि घटते जल स्त्रोतों को बचाया जा सके.
इसके अलावे उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने कहा कि पृथ्वी का 71 प्रतिशत हिस्सा पानी से भरा हुआ है लेकिन स्वच्छ जल की बात करें तो उसका प्रतिशत बहुत ही कम है. कई सारे देश ऐसे हैं जहां के रहवासी गंदा पानी पीकर अपना जीवन काट रहे हैं. ऐसे में आवश्यक है कि जल का संरक्षण किया जाए ताकि हमारे साथ हमारे आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ पानी मिले.
ज्ञात हो कि विश्व जल दिवस मनाने की अंतरराष्ट्रीय पहल ब्राजील में रियो डि जेनेरियो में 22 मार्च 1992 में आयोजित पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में की गई. साल 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने अपने सामान्य सभा में निर्णय लेकर इस दिन को वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मनाने का निर्णय लिया.
दरअसल हर वर्ष विश्व जल दिवस के लिए एक थीम तय की जाती है. इस बार की थीम है ’जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव’ यानी लोगों को यह जागरूक करना है कि, जलवायु परिवर्तन का किस तरह से जल संसाधनों पर प्रभाव पड़ रहा है. पिछले साल यानी विश्व जल दिवस 2019 की थीम थी, ’किसी को पीछे नहीं छोड़ना’. पानी हमारे जीवन का एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. पानी की आपूर्ति में परिवर्तन खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है. ऐसे में जल संकट को खाद्य आपूर्ति से जोड़कर भी देखा जा सकता है.