बसंतराय: गोड्डा जिला के भाजयुमो के जिलाध्यक्ष संतोष कुमार के एक फेसबुक पोस्ट के बाद से छिड़े घमासान अब दो तरफा हो गया है. यूं कहें तो भाजयुमो के जिलाध्यक्ष के फेसबुक पोस्ट को गलत बताकर गोड्डा पुलिस को टैग करते हुए ट्वीट करना अब बसंतराय के जिला परिषद वहाब शम्स को महंगा साबित हो रहा है.
क्या है पुरा मामला…
दरअसल, तिहाड़ जेल में बंद सफुरा जरगर के अचानक गर्भवती होने की बात सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा ट्रोल हो रही थी, जिसे लेकर भाजयुमो के जिलाध्यक्ष संतोष कुमार ने एक छायांकन तस्वीर छायावादी तरीके से अपने फेसबुक पोस्ट से साझा किया और वहीं ये इस विवाद का जड़ शुरू हुआ. जिसके बाद,बसंतराय के जिला परिषद सदस्य अब्दुल वहाब शम्स ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसी बात कहते हुए गोड्डा जिला पुलिस को टैग करते हुए कार्यवाही करने के लिए ट्वीट किया और प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए भाजयुमो के जिलाध्यक्ष को उठाकर सीधे थाना ले आयी.
वहीं अचानक हुए इस कार्यवाही से इसमें राजनीतिक रंग चढ़ गई और जिलाध्यक्ष संतोष कुमार के द्वारा जिला परिषद अब्दुल वहाब शम्स के पूरे इतिहास को पलट कर रख दिया और जिला अनुमंडल पदाधिकारी के नाम एक आवेदन जारी कर अब्दुल वहाब शम्स सभी निजी निजों पर जांच के लिए आवेदन दे दिया. लिखित आवेदन में जिक्र करते हुए जिलाध्यक्ष संतोष कुमार ने अब्दुल वहाब शम्स पर गंभीर सिद्धस्थ आरोप लगाते हुए बताया है कि उक्त जिला परिषद सदस्य की दो पत्नियां है जिसमें एक आंगनबाड़ी में कार्यरत है जबकि दूसरी पारा शिक्षक, साथ ही इनके परिवार में एक भाई प्रशासनिक पदाधिकारी के भी पद पर हैं, खुद का पक्के का एक बड़ा मकान है और अपने लिए करीब 11 लाख की गाड़ी में हर दिन आना जाना करते हैं. ऐसे में तमाम सुख-सुविधाओं के बावजूद अपने पद का दुरुपयोग कर लाल राशन कार्ड का लाभ ले रहे हैं,प्रधामनंत्री के द्वारा गरीबों के इलाज हेतु महत्वाकांक्षी योजनाएं आयुष्मान भारत कार्ड के तहत खुद इलाज करवाकर सरकार के राजस्व को गलत तरीके से चुना लगाया जा रहा है.
वहीं इन सभी गंभीर बातों का जिक्र करते हुए भाजयुमो के जिलाध्यक्ष संतोष कुमार ने गोड्डा अनुमंडल पदाधिकारी को निम्न सभी बिंदुओं के साक्ष्य के रूप में एक-एक प्रति कॉपी संलग्न करते हुए आवेदन देकर गलत तरीके से सरकार को मिलने वाली राजस्व की क्षति पहुंचाने एवं गरीबों के हक को छीन कर हरेक सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण रहते हुए. अपने पद की धौंस पर इन सभी का लाभ लेने को लेकर खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सूद सहित वापसी कराने मांग करते हुए. इस पूरे परिवार पर सुसंगत धारा लगाकर कार्यवाही करने की मांग की है. बहरहाल आरोप-प्रत्यारोप के दौर में इस बात का पता जांच के उपरांत ही चलेगी लेकिन अगर ये सही साबित होती है तो ये बहुत ही दुःखद होगा. जिसमें साफ तौर पर जिला परिषद सदस्य के द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर इन सभी का लाभ लेना साफ तौर पर स्पष्ट हो जाएगा.