खास बातें:-
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हाशिए पर रहे राष्ट्रीय दलों के प्रदेश व स्थानीय स्तर के नेता
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क्षेत्रीय दलों के स्टार प्रचारकों ने चुनावी सभा में राष्ट्रीय दलों से अधिक जुटाई भीड़
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जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन, आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो और झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल भी भीड़ जुटाने में नहीं रहे पीछे
रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों ने लगभग एक माह तक धुंआधार प्रचार किया. इसमें राष्ट्रीय दल बीजेपी और कांग्रेस ने अपने स्टार प्रचारकों पर ही भरोसा जताया. इन दलों के प्रदेश और स्थानीय स्तर के नेता हाशिए पर रहे. हालांकि मंच पर अपने स्टार प्रचारकों के साथ दिखे जरूर.
बीजेपी के स्टार प्रचारक पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने लगभग आधा दर्जन से अधिक सभाएं की. इसमें अपवाद के रूप में सीएम रघुवर दास को छोड़ किसी भी प्रदेश व स्थानीय स्तर के नेता सक्रिय नहीं दिखे. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ अपने विधानसभा क्षेत्र में व्यस्त रहे. कांग्रेस की बात करें तो राहुल गांधी, राज बब्बर, ज्योतिराज सिंधिया, शत्रुघ्न सिन्हा और भाग्य श्री ने प्रचार किया.
क्यों नहीं स्थानीय नेताओं पर जता पाए भरोसा
बीजेपी में सीएम रघुवर दास को छोड़कर किसी भी प्रदेश स्तरीय नेताओं पर भरोसा नहीं जताया गया. हालांकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अपने विधानसभा क्षेत्र में ही सक्रिय दिखे.
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय भी प्रचार में उतने सक्रिय नहीं दिखे. प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव भी अपने विधानसभा क्षेत्र में व्यस्त रहे.
कांग्रेस की बात करें तो पिछले पांच साल में पार्टी के अंदर गतिरोध बना रहा. सिर्फ बयानबाजी और प्रेस रिलीज से ही काम चलाया गया.
क्षेत्रीय क्षत्रपों ने दिखाई अपनी ताकत
चुनाव में क्षेत्रीय दलों ने किसी भी स्टार प्रचारक को नहीं बुलाया. झामुमो, आजसू और झाविमो के नेतृत्वकर्ताओं ने भीड़ जुटाने के मामले में राष्ट्रीय दलों के स्टार प्रचारकों को कड़ी टक्कर दी.
भीड़ के जरीए अपने को जननेता भी साबित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो, जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन और झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी की सभाओं में राष्ट्रीय दलों के मुकाबले अधिक भीड़ जुटी.