रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह खाद्य आपूर्ति एवं वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव, कांग्रेस विधायक दल नेता आलमगीर आलम, मंत्री बादल पत्रलेख, बन्ना गुप्ता, प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव, डा राजेश गुप्ता छोटू, प्रोफेशनल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष आदित्य विक्रम जयसवाल सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं, पदाधिकारियों, विधायकों ,सांसदों ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी द्वारा जारी धरोहर श्रृंखला की बीसवीं वीडियो सोशल मीडिया फेसबुक ट्विटर इंस्टाग्राम व्हाट्सएप पर अपलोड कर देश के वर्तमान पीढ़ियों को अवगत कराने का काम किया.
प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष डा रामेश्वर उरांव ने वीडियो शेयर करने के उपरांत मीडिया कर्मियों से बातचीत में कहा कि गांधी जी के आह्वान पर असहयोग आंदोलन ने पूरे देश की जनता को अपना हिस्सा बना लिया था. ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बुजुर्ग, युवा एकमत होकर बहिष्कार का ऐलान कर रहे थे. देश की धरोहर के इस एपिसोड में असहयोग आंदोलन के ज्वलंत किस्से आज भी पूरे देश को संदेश दे रहे हैं .
डॉ उरांव ने कहा सितंबर 1920 में कोलकाता में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन से निकले असहयोग आंदोलन के रंग में पूरा देश रंग चुका था. वहीं से निकली विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार की लौ ने पूरे देश में जगह-जगह विदेशी वस्तुओं की होली जला दी. गांधी जी ने केसरे ए हिन्द का पदक लौटा दिया और पूरे देश का दौरा किया .लंबी दूरी पैदल ही तय की, भूखे रहे, मुश्किल से मुश्किल जगहों तक पहुंचे, कतार के आखिरी व्यक्ति तक गांधीजी पहुंच रहे थे और इसके लिए उन्होंने सैकड़ों सभाओं को संबोधित किया .
गांधीजी से प्रभावित होकर हजारों छात्रों ने ब्रिटिश हुकूमत की सरकारी स्कूल और कॉलेजों को छोड़कर राष्ट्रीय स्कूलों और कॉलेजों में प्रवेश ले लिया .कांग्रेस के बहिष्कार वाली नीति पूरे देश में आग की तरह फैल रही थी. इसी दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रीय कॉलेज कोलकाता के प्रिंसिपल बन गए. काशी विद्यापीठ, जामिया मिलियम, गुजरात विद्यापीठ जैसे संस्थानों ने भी इस आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
बहिष्कार के आह्वान पर मोतीलाल नेहरु, जवाहरलाल नेहर, वल्लभ भाई पटेल, राजेंद्र प्रसाद, सीआरदास, श्रीराजगोपालाचारी, सरफुद्दीन,अशरफ अली जैसे कई प्रसिद्ध वकील वकालत छोड़ कर असहयोग आंदोलन में कूद पड़े. तिलक स्वराज्य फंड भी उम्मीद से कई गुना धनराशि इकट्ठा हो गई, मानो देश का हर एक व्यक्ति खुद को सहयोग की ज्वाला में झोंक चुका था और तानाशाह ब्रिटिश हुकूमत को खाक कर देना ही एकमात्र लक्ष्य था. इसमें किसान वर्ग सड़कों पर था. विद्यार्थियों ने स्कूल कॉलेज छोड़ दिए, महिलाओं ने तिलक फंड में अपने गहने तक दे दिए.
कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में हिंदू मुस्लिम एकता चरम पर थी, मध्यम वर्ग में नौकरियां छोड़ दी, व्यापारियों ने आर्थिक बहिष्कार में सहयोग किया. ब्रिटिश तानाशाही के खिलाफ राष्ट्रीय जन सहभागिता ब्रिटिश हुकूमत को अंत का संकेत थी. हमें अपनी धरोहर को नहीं भूलना है, हमारी धरोहर त्याग और एकता से बनी है जिसको हमें मजबूत बनाना है.
झारखंड सरकार में कांग्रेस मंत्री बादल पत्रलेख एवं बन्ना गुप्ता ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में संघर्ष की तरह ही देश की एकता और सामाजिक सद्भाव को कायम रखने की जरूरत है.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव एवं डॉ राजेश गुप्ता छोटू ने अपने सोशल मीडिया के माध्यम से धरोहर वीडियो की बीसवां वीडियो जारी करते हुए कहा कि जिस तरह से असहयोग आंदोलन में विदेशी सामानों के बहिष्कार की शुरुआत हुई थी, उसी तरह से अब एक बार फिर पूंजीपतियों का बहिष्कार किया जाना चाहिए.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निरंजन पासवान,सुखेर भगत,चैतू उराँव,अमरेन्द्र कुमार सिंह, सन्नी टोप्पो,बेलस तिर्की, फिरोज रिजवी मुन्ना,देवजीत देवघरिया, सोनी नायक,जितेन्द्र त्रिवेदी, विनीता पाठक,विभय शाहदेव, सहित पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं, विधायक ,सांसद, मंत्रियों ने धरोहर वीडियो को अपने सोशल मीडिया के माध्यम से जनता के समक्ष प्रेषित किया है जो काफी ट्रेंड कर यहा है.