रांची: मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि नदी, तालाब व जलाशयों समेत सार्वजनिक स्थलों पर प्रतिबंध लगाकर राज्य सरकार ने छठव्रतियों समेत श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचाने का काम किया है. राज्य सरकार को गाइडलाइन जारी करने से पूर्व छठव्रतियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए थी.
अब इतने कम समय में छठव्रती सूर्यदेव को अर्घ्य देने की व्यवस्था कैसे करेंगे. मैं राज्य सरकार को बताना चाहूंगी कि इसी कोरोना काल में राज्य के दो विधानसभ सीटों का उपचुनाव हुआ. दोनों सीट पर महागठबंधन की जीत पर विजय जुलूस निकाले गए.
दुर्गापूजा व दीपावली का त्योहार भी उमंग और उत्साह के साथ मनाया गया, परंतु लोक आस्था के महापर्व को लेकर राज्य सरकार मौन रही. दीपावली के ठीक एक दिन बाद छठ महापर्व को लेकर गाइडलाइन जारी करने के पीछे राज्य सरकार की मंशा ठीक नहीं है. छठ महापर्व सादगी व पवित्रता के साथ मनाया जाता है.
मेयर ने यह भी कहा कि रांची नगर निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों ने दुर्गा पूजा से पूर्व ही छठ महापर्व के लिए शहर के विभिन्न तालाबों की सफाई शुरू कर दी थी. वर्तमान में शहर के सभी तालाबों व जलाशयों की सफाई हो चुकी है. छठव्रती भी छठ घाटों पर सूर्यदेव को अर्घ्य देने का मन बना चुके हैं.
राज्य सरकार को यह सोचना चाहिए कि नदी, तालाबों व जलाशयों में प्रतिबंध लगाने के बाद लाखों की संख्या में छठव्रती सूर्यदेव को अर्घ्य कैसे देंगे. अब रांची नगर निगम के पास न तो समय है और न ही संसाधन. यदि छठव्रती घर-घर अस्थाई जलकुंड का निर्माण भी करा लें तो अस्थाई जलकुंड में पानी की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए रांची नगर निगम के पास पर्याप्त संख्या में टैंकर नहीं है. मेयर ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि छठ मईया के प्रति छठव्रतियों की श्रद्धा व भक्ति को कुंठित न करें और छठ महापर्व को लेकर जारी किए गए गाइडलाइन को जल्द से जल्द वापस लिया जाए.