रामगढ़: रामगढ़ शहर का मुख्य चौराहा महात्मा गांधी चौक पर स्थापित राष्ट्रपिता की प्रतिमा के क्षतिग्रस्त होने का एक मामला प्रकाश में आया है.
स्थानीय कुछ लोगों का कहना है कि रामगढ़ थाना से महज चंद मीटरों की दूरी पर स्थित इस मुख्य चौराहे पर लॉकडाउन के समय जब शहर में हर तरफ पुलिस के जवान तैनात हैं असामाजिक तत्वों के द्वारा इस घटना को अंजाम देना पुलिस को ललकारने जैसा है.
जिले के तेजतर्रार पुलिस कप्तान के द्वारा अपराधों को रोकने के लिए शहर में अनेक स्थानों पर अत्याधुनिक कैमरे लगाए गए हैं उनमें से एक कैमरा इस चौराहे पर भी लगा हुआ है.
कैमरे की सदउपयोगिता से पुलिस इस असामाजिक तत्वों को गिरफ्तार करने में कामयाब भी हो सकती है. पर पुलिस ऐसा करेगी इसकी संभावना कम ही है, क्योंकि किसी भी राजनीतिक या सामाजिक संगठन और ना ही किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा इस संदर्भ में रामगढ़ थाने में मामला दर्ज कराया गया.
पहले से ही पुराने मुकदमों का बोझ ढो रहे रामगढ़ पुलिस के द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर मामला दर्ज करने की संभावना शुन्य है.
हालांकि प्रतिमा को क्षतिग्रस्त किए जाने की जानकारी मिलते ही रामगढ़ पुलिस के द्वारा वरीय अधिकारियों के निर्देश पर प्रतिमा की तुरंत मरम्मत करवा कर सराहनीय कार्य किया गया और अनावश्यक हंगामे की संभावना को शिथिल कर दिया गया.
पर क्या यह किया जाना काफी है? क्या इस मामले में दोषी पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? यह एक विचारणीय प्रश्न है.
वहीं स्थानीय एक नेताजी ने तो यहां तक कहा की प्रतिमा पहले भी कई बार अपने आप क्षतिग्रस्त हो चुकी है. क्या विपक्ष में रहने के बाद यह नेता इस घटना पर ऐसा ही बयान देते?
जबकि रामगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष विमल बुधिया है कहा है कि अगर किसी शरारती तत्वों द्वारा ऐसी घटना को अंजाम दिया गया है, तो यह निंदनीय है और ऐसे लोगों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए.
बहरहाल मामला जो भी हो लेकिन रामगढ़ में राष्ट्रपिता का प्रतिमा का टूटना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना है.