हजारीबाग: देश में फैली कोरोना महामारी के कारण पूरे देश और झारखंड प्रदेश में लॉकडाउन लगा है. लॉक डाउन के कारण सभी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
प्रदेश में गौमाता ओर गौशालाएं भी इस संकट से जूझ रही है और भुखमरी की कगार पर है. इस संदर्भ में झारखंड प्रादेशिक गौशाला संघ के प्रदेश महामंत्री अनिल मोदी ने बताया कि संघ लगातार झारखंड सरकार से गौशालाओं के बकाये अनुदान की मांग कर रहा है किंतु अभी तक अनुदान की निकासी नहीं हो पाई है.
ज्ञात हो कि प्रदेश में गौ वंशीय पशु हत्या प्रतिषेध अधिनियम 2011 लागू है. इसके तहत गोकशी के लिए ले जाई जा रही गायों को प्रशासन छुड़वा कर नजदीकी गौशालाओं को भेज देता है. इन गायों के लिए सरकार खुराकी मद में प्रति गाय को प्रतिदिन 50 रु का अनुदान देती है. परंतु अधिकतर गौशालाओं का यह अनुदान बकाया चल रहा है एवं लॉक डाउन के कारण जनसहयोग में भी कमी आई है.
इससे गौशालाओं को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि गौशालाओं ने स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधियों से भी सहयोग की गुहार लगाई थी. इस क्रम में कोडरमा सांसद अन्नपूर्णा देवी ने अपनी सांसद निधि से डेढ़ लाख, हज़ारीबाग़ के सांसद जयंत सिन्हा ने 3 लाख, हजारीबाग सदर के विधायक मनीष जायसवाल ने 5 लाख एवं पाकुड़ विधायक आलमगीर आलम ने 1 लाख रु की अनुशंसा की है.
इसके अलावे संघ के प्रदेश अध्यक्ष आर के अग्रवाल ने भी गौशालाओं को राशि उपलब्ध करवाई है. मोदी ने सभी सांसदों ओर विधायको से आग्रह किया कि वे भी अपने क्षेत्र की गौशाला में सरकारी/निजी निधि से मदद करे. यह सही अर्थों में गौ सेवा होगी. उन्होंने कहा कि गौ माता मूक प्राणी है अतः इनके लिए सोचना हम सब की पहली ज़िम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि यदि सरकार बकाया अनुदान निर्गत करने में विलंब करती है तो तत्काल गौशालाओं को आर्थिक मदद करें ताकि इनका संचालन सुचारू रूप से होता रहे.