- वित्त विभाग ने लगाया अडंगा, अनुपूरक बजट में करना था प्रावधान, राज्य सरकार को देना था 356 करोड़ रुपए
- इस साल 14 जिले हो सकते हैं सूखाड़ग्रस्त घोषित, 14 में से पांच जिले पूरी तरह से सूखाड़ की चपेट में
रांची: राज्य गठन से लेकर अब तक 19 साल में 15 साल किसान धोखा खा चुके हैं। कृषि विभाग भी किसानों का दर्द नहीं समझ पाया है। हर साल सुखाड़ का सामना करने के लिये पैकेज की मांग की जाती है, लेकिन स्थायी निदान का कोई ठोस उपाय अब तक नहीं हो पाया है। पिछले साल 18 जिलों के 129 प्रखंड को सूखाग्रस्त घोषित किया गया। इसके बाद गृह व आपदा विभाग ने मैनुअल 2016 के प्रावधानों के अनुसार, इन प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित करने का आदेश जारी किया। केंद्रीय टीम ने सात से नौ दिसंबर 2018 तक विभिन्न जिलों में सुखाड़ की स्थिति का मुआयना भी किया। फिर आपदा विभाग ने केंद्र से 1505 करोड़ रुपये की सहायता राशि मांगी। इस पर केंद्र ने अब तक 272 करोड़ रुपये ही दिए। आपदा विभाग केंद्र को दो बार रिमाइंडर भी भेज चुका है। अब इस साल फिर 14 जिलों को सूखाड़ग्रस्त घोषित किया जा सकता है। इसमें जो आपदा विभाग को जो रिपोर्ट उपलब्ध कराई गई है उसमें पांच जिले खूंटी, गोड्डा, पाकुड़, चतरा और गढ़वा पूरी तरह से सुखाड़ की चपेट में हैं।
वित्त विभाग ने लगाया अडंगा, अनुपूरक में करना था प्रावधान
सरकारी पेंच के कारण किसानों को सुखाड़ राहत नहीं मिल पाया। वित्त विभाग के अडंगा के कारण अनुपूरक बजट में राशि का प्रावधान नहीं किया जा सका। राज्य सरकार द्वारा किसानों को 356 करोड़ रुपये की सहायता राशि देती। सूत्रों के अनुसार फिलहाल सहायता राशि के लिए 150 करोड़ रुपये निर्गत किए जा सकते हैं।
11 लाख किसान मुआवजा को जोह रहे बाट
पिछले साल 18 जिले के 129 प्रखंडों को सुखाड़ग्रस्त घोषित किया गया था। लेकिन इन प्रखंडों के 11 लाख किसानों को सुखाड़ राहत नहीं मिल पाया। कृषि विभाग ने सुखाड़ ग्रस्त इलाकों के लिये कृषि इनपुट सब्सिडी के तौर पर 295 करोड़ रुपये मांगे थे। इसके तहत बिना सिंचाई वाले क्षेत्र के किसानों को 6800 रुपये प्रति हेक्टेयर और सिंचाई क्षेत्र वाले किसानों को 13500 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा देने था। लेकिन अब तक किसी भी सुखाड़ ग्रसित क्षेत्र के किसानों को यह मुआवजा नहीं मिल पाया है।
सरकार के पांच विभागों ने किया था आकलन
पिछले साल सुखाड़ के मद्देनजर मेमोरेंडम फॉर फाइनेंशियल असिस्टेंस आॅफ ड्रॉट इन झारखंड 2018 तैयार करने के लिए कृषि सचिव की अध्यक्षता में समिति बनायी गयी थी। इसके बाद सुखाड़ में सहायता के लिए पांच विभागों के समन्वय से आकलन कराया गया। सिंचाई विभाग के लिए 232 करोड़, पेयजल विभाग के लिए 102, स्वास्थ्य विभाग के लिए दो, पशुपालन के लिए 122 करोड़, मत्स्य के लिए 98 करोड़ और कृषि इनपुट सब्सिडी के लिए 295 करोड़ की मांग की गयी थी। फिर कुल 1505 करोड़ का मेमोरेंडम केंद्र को सौंपा गया।
सूखा ग्रस्त जिलों के डीसी ने नहीं दी रिपोर्ट
प्रावधान के मुताबिक, सुखाड़ ग्रस्त 18 जिलों के उपायुक्तों को लाभुक किसानों की सूची आपदा प्रबंधन विभाग को दी जानी थी,चूंकि सुखाड़ के लिये जिले के उपायुक्त की अध्यक्षता में डिस्ट्रिक ड्रॉट मॉनिटिरिंग कमेटी गठित है, जिसमें जिला कृषि पदाधिकारी सहित वहां के बीडीओ भी शामिल हैं। यह कमेटी प्रभावित किसानों का आकलन कर सीधे आपदा प्रबंधन विभाग को रिपोर्ट सौंपती, जिसके आधार पर राशि निर्गत की जाती। अब तक किसी भी जिले के डीसी ने आपदा विभाग को रिपोर्ट नहीं सौंपी है।
किसानों को छोड़ शहर में पानी के सात करोड़ जारी
आपदा विभाग ने किसानों की चिंता छोड़कर शहर में पानी आपूर्ति के लिये सात करोड़ रुपये जारी किया। इसके अलावा पूरे राज्य में पानी की आपूर्ति के लिये 94 करोड़ रुपये जारी किये गये। इस राशि से टैंकर से पानी पहुंचायी जाती और पाइप लाइन व चापानलों की मरम्मत की जायेगी। आपदा विभाग ने 206 करोड़ रुपये अब तक खर्च किये हैं, जिसका उपयोगिता प्रमाण पत्र और पूरा ब्योरा केंद्र को भेज दिया है। शेष राशि के लिये रिमाइंडर भेजा गया है।
- सुखाड़ घोषित करने के ये हैं मानक
- 15 जून से 30 सितंबर तक 75 फीसदी से कम बारिश
- फसल बुआई 50 फीसदी से होनी चाहिये कम
- नॉर्मल डिफरेंशियल वेजिटेशन (एनडीवीआई) 0.4 फीसदी से होना चाहिये कम
- आद्रता 0.4 फीसदी से होनी चाहिए कम
- कौन जिला हो सकते हैं सुखाड़ग्रस्त घोषित
जिला बारिश (फीसदी) |
रोपा(फीसदी)
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कोडरमा | 42 62 |
बोकारो | 46 30 |
दुमका | 43 84 |
देवघर | 42 63 |
गोड्डा | 30 45 |
पाकुड़ | 29 90 |
गढ़वा | 99 43 |
पलामू | 84 35 |
सरायकेला | 72 44 |
खूंटी | 76 50 |
लातेहार | 55 60 |
गिरिडीह | 55 65 |
जामनताड़ा | 56 52 |
साहेबगंज | 54 83 |
मुख्य सचिव के 22 जुलाई को क्या दिये थे निर्देश
सूखा की स्थिति से समय रहते स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड का 350 करोड़ रुपये एक सप्ताह के भीतर उपायुक्तों को उपलब्ध करायें।
इस फंड से उपायुक्त किसानों को बीज और खाद की खरीद में बतौर अनुदान पैसा उपलब्ध करायें।
मुख्य सचिव ने कहा कि इससे किसानों को काफी राहत मिलेगी.
कम बारिश से पेयजल संकट की अतिरिक्त 80 करोड़ रुपये तत्काल जिलों को उपलब्ध कराने का निर्देश।
क्या कहते हैं आपदा विभाग के संयुक्त सचिव
आइएफएस अफसर सह आपदा विभाग के संयुक्त सचिव मनीष तिवारी ने बताया कि केंद्र से 272 करोड़ रुपये मिले हैं। राज्य सरकार 150 करोड़ रुपए और देगी। 20 दिन पहले 40 फीसदी कम बारिश हुई थी। अब पैचअप हो रहा है। फिलहाल अभी भी 26 फीसदी कम बारिश है। 14 जिलों की स्थिति पर नजर रखी जा रही है।