नई दिल्ली: कोरोना संकट की वजह से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा कक्षा 9 से 12 तक के सिलेबस में कटौती को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने सीबीएसई के फैसले का समर्थन किया और जिन विषयों को हटाया गया है उन पर सवाल भी उठाए हैं.
दिल्ली सरकार की ओर से जारी बयान में सिसोदिया ने कहा, ‘दिल्ली सरकार हमेशा से सिलेबस में कटौती की पक्षधर रही है. मैंने कई मौकों पर ऐसा कहा है क्योंकि ज्यादा सिलेबस का मतलब ज्यादा सीखना नहीं है.
विगत 5 जून, 2020 को मैंने माननीय केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री को लिखे पत्र में अनुरोध भी किया था कि सभी कक्षाओं और टॉपिक के पाठ्यक्रम में 30 फीसदी तक कटौती की जाए. टॉपिक को ज्यादा फैलाने के बजाय सीखने और समझने में अधिक गहराई होनी चाहिए.’
सिसोदिया ने शैक्षणिक सत्र 2020-21 के सिलेबस की कटौती के सीबीएसई के फैसले का समर्थन किया है और आपत्ति भी दर्ज कराई है.
मनीष सिसोदिया का मानना है कि सेकेंडरी स्कूल पाठ्यक्रम कक्षा नवीं-दसवीं वर्ष 2020-21 और सीनियर सेकेंडरी स्कूल पाठ्यक्रम कक्षा 11-12 वर्ष 2020-21 में यह नहीं बताया गया है कि सीबीएसई की कोर्स कमिटी, करिकुलम कमिटी तथा शासी निकाय किसी भी टॉपिक अथवा अध्याय को हटाने या शामिल करने के निर्णय पर किस प्रक्रिया के तहत पहुंची है.
उन्होंने आगे कहा कि करिकुलम में कटौती संबंधी विवरण में यह नहीं बताया गया है कि किसी टॉपिक या अध्याय को किस वजह से छोड़ा गया है.
मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘सामाजिक विज्ञान में विवाद की अधिक गुंजाइश है. मैं इस बात से सहमत हूं कि किसी भी टॉपिक को चुनने या छोड़ने को लेकर प्रश्न उठना स्वाभाविक है. इसलिए सीबीएसई को किन्हीं खास टॉपिक को छोड़ने के संबंध में समुचित तार्किक आधार प्रस्तुत करने के प्रति सचेत रहना चाहिए.’
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- लोकतांत्रिक राजनीति के चार अध्याय- ‘लोकतंत्र और विविधता’, ‘लिंग, धर्म और जाति’, ‘लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन’ और ‘लोकतंत्र के लिए चुनौतियां’ को कक्षा 10 के पाठ्यक्रम से पूरी तरह से क्यों हटाया गया?
- संघवाद, नागरिकता, राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता को कक्षा 11 के राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम से पूरी तरह क्यों हटा दिया गया?
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- कक्षा 11 समाजशास्त्र पाठ्यक्रम से ‘अनुसंधान विधि’ को क्यों हटाया है? यह तो समाजशास्त्र, मास मीडिया और संचार के अध्ययन की रीढ़ है.