मुम्बई: तनुश्री दत्ता पर 25 करोड़ रुपये की मानहानि का दावा नाना पाटेकर के एनजीओ ‘नाम फाउंडेशन’ ने ठोका है. इस दावे के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने तनुश्री को प्रेस कॉन्फ्रेंस में नाना पाटेकर के नाम और फाउंडेशन के खिलाफ आरोप लगाने से रोक दिया है. गौरतलब है कि वह पहले भी एनजीओ पर भ्रष्टाचार समेत दूसरे गंभीर आरोप लगा चुकी हैं. तनुश्री कोर्ट में अनुपस्थित रही जिसके बाद न्यायमूर्ति एके मेनन ने एनजीओ को राहत प्रदान की.
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में नाना पाटेकर और मकरंद अनासपुरे द्वारा साल 2015 में शुरु किए एनजीओ ने कहा है कि वह लगातार सूखे से प्रभावित इलाकों में किसानों की बेहतरी की दिशा की तरफ काम कर रहा है. लेकिन तनुश्री की जनवरी 2020 की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में लगाए गए आरोप और पड़ताल की वजह से उनके फाउंडेशन की प्रतिष्ठा को क्षति पहुंच रही है. तनुश्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को यह जानकारी प्रदान की थी कि पुलिस द्वारा उनके यौन उत्पीड़न के केस को बंद किए जाने के खिलाफ उन्होंने एक याचिका दायर की है.
तनुश्री ने इस बारे में कहा है कि वह जवाब दाखिल करने की प्रक्रिया में थी और वह फाउंडेशन के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग करेंगी. उन्होंने आगे बताया, ‘पिछली बार जब नाना पाटेकर ने मुझे मानहानि के नोटिस के साथ रोकने की कोशिश की थी तो मैंने एक पुलिस शिकायत के साथ इसका जवाब दिया. मैं एक युवा और प्रतिभाशाली अभिनेत्री हुआ करती थी लेकिन इन लोगों के द्वारा लगातार परेशान करने के बाद मेरा करियर एक तरह से रुक गया. इन चुनौतियों ने मुझे एक एक्टिविस्ट (कार्यकर्ता) बना दिया और मैंने कभी पीछे नहीं हटने का फैसला लिया. इतिहास मुझे मेरी लड़ाई के लिए याद रखेगा. ‘
गौरतलब है कि करीब दो साल पहले तनुश्री दत्ता ने नाना पाटेकर पर फिल्म ‘हॉर्न ओके प्लीज’ पर साल 2008 में यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाते हुए भारतीय सिनेमा जगत में मीटू अभियान के तहत पहला आरोप लगाया था. उन्होंने निर्देशक राकेश सारंग, कोरियोग्राफर गणेश आचार्य और निर्माता सामी सिद्दीकी पर चुप रहने का आरोप लगाया था. पिछले साल जून महीने में पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ केस को बंद कर दिया था. पुलिस ने इस शिकायत को गलत करार दिया. हालांकि केस बंद करने के खिलाफ तनुश्री की याचिका फिलहाल उसी अदालत के समक्ष लंबित है.