नीता शेखर,
कशमकश जिंदगी, संघर्षरत जिंदगी, बेचैन जिंदगी, खुशहाल जिंदगी, बीमार जिंदगी, झूठ के चादर में लिपटी हुई जिंदगी, सच्चाई में छाई हुई जिंदगी!
कुछ कहते हैं “जिंदगी एक खूबसूरत एहसास है इसे ग़मों के साए में मत डूबाओ.
इससे पहले कि जिंदगी के शाम में अंधेरा आ जाए, उसके पहले हर पल मुस्कुराया करो.” यह सोचना बहुत ही कठिन है की जिंदगी क्या है.
एक बार एक गरीब व्यक्ति ने बाबा से कहा बाबा अगर आप मुझे थोड़ी सी जमीन दे दे तो मैं उसमें मेहनत करके फसल उगाता और फिर आपको जमीन वापस कर देता. बाबा ने कहा ठीक है जाओ मैं तुम्हें जमीन के साथ साथ पांच आदमी भी देता हूं तुम्हारी सहायता के लिए. इस तरह से वह गरीब बहुत ही खुशी खुशी आदमियों को लेकर खेती की ओर चल पड़ा. अब उस व्यक्ति ने खेत को आदमियों के भरोसे छोड़ दिया अपनी मौज मस्ती में लगा रहा है. जब फसल काटने की बारी आई तो उसने देखा फसल तो अच्छा हुआ ही नहीं था. उसने बाबा को जाकर कहा बाबा मैंने आपके आदमियों पर ध्यान नहीं दिया फसल तो बर्बाद हो गई.
अब यह ध्यान देने की बात है
बाबा— यानी भगवान
गरीब व्यक्ति— हम सब इंसान
खेत– हमारा शरीर
पांच आदमी है— हमारी इंद्रियां आंख नाक, कान जीभ मन.
अगर हम सब इन पांचों इंद्रियों को कंट्रोल कर ले तो एक अच्छी जिंदगी जी सकते हैं.
जिंदगी का रूप हर समय बदलता रहता है. हमारा बचपन, जवानी और बुढ़ापा यह तीनों जिंदगी के स्टेशन है जहां पर थोड़ी देर के लिए गाड़ी रूकती है और फिर चल देती अपनी मंजिल की तरफ.
अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम अपनी जिंदगी का कौन सा मोती चुने. हां यह सच है कि जिंदगी किसी के लिए रूकती नहीं है. वह लगातार चलती रहती है उसकी नियति ही है. चलना अगर उसको जबरदस्ती रोकना चाहे तो जिंदगी को कुछ नहीं होता. वह तो चलती जाती है पर खुद की जिंदगी बर्बाद हो जाता है. यह सत्य है कि जिंदगी की राहें इतना आसान नहीं होती टेढ़े मेढ़े रास्तों पर चलना होता है उन रास्तों पर चलकर हम अपनी जिंदगी को पा सकते हैं.
जिंदगी कभी किसी के लिए नहीं रुकती. वह तो हम इंसानों को लगता है अगर वह आदमी चला गया तो मेरी जिंदगी का क्या होगा. समय गवाह है कि जिंदगी किसी के जाने और ना जाने से रुकती नहीं. वह अपनी गति अनुसार चलती रहती. जिंदगी खुशी और गम का रास्ता है. कभी उसी रास्ते पर चलते चलते खुशियां मिल जाती है तो हम भरपूर मजा ले लेते है जिंदगी में कभी कभी गम का साया मिल जाता है तो उससे भी निकल जाते है.
जिंदगी का एक पहलू यह भी है कि हम कभी किसी को खुश दिखते तो हम भी खुश हो जाते हैं कभी किसी को दुखी देखते हैं तो दुखी हो जाते हैं. वैसे ही जिंदगी कभी हसीन तो कभी अंधेरी खाई है कभी रोना सिखाती है तो कभी हंसना भी सिखाती है पर अपना रंग वो जरुर बदलती है. मनुष्य पूरी उम्र नौकरी करता है तो रिटायर होने के बाद आराम से जिंदगी बच्चों के साथ बिता लूंगा. नहीं सोच पाता कि जब आप रिटायर होंगे तो आपके बच्चे बड़े हो जाएंगे और सब अपने-अपने जिंदगी में व्यस्त हो जाएंगे. जिसके पास सब कुछ है उसके पास जिंदगी नहीं और जिसके पास कुछ नहीं है उसके पास लंबी जिंदगी है यह जीवन का कड़वा सत्य है.
अंत में मैं यह कहना चाहूंगी कि जिंदगी एक मौत की प्रक्रिया है जो जन्म देते ही शुरू हो जाती है इसलिए बेकार की बातों को छोड़कर हम अपने अंदर देखे तो खुद ही जवाब मिल जाएगा जिंदगी क्या है?
“जिए जा रहे हैं जिंदगी इस संसार के झमेले में!
ना मंजिल पता ना रास्ता पता बस यूं ही जिए जा रहे हैं भटकते हुए से गलियों में.
ए जिंदगी इतना तो बता तेरा मकसद क्या है इस संसार के मेले में?