जम्मू: नवरात्र पर शहर के मंदिर सज गए हैं. फूलों और लाइटों से सजे मंदिरों की आलौकिक छटा देखते ही बन रही है. इस बार कोरोना संक्रमण के चलते भक्तों को कोविड प्रोटोकाल के तहत दर्शन की अनुमति मिलेगी.प्रशासन और मंदिर कमेटियों ने संक्रमण फैलने से रोकने की पूरी तैयारी कर ली है कई तरह के बदलाव किए हैं मंदिरों में आने वाले हर व्यक्ति को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और मास्क पहनना अनिवार्य है.जिसके पास मास्क नहीं होगा उसे मंदिर कमेटी मास्क उपलब्ध कराएगी.
बावे वाली माता मंदिर के महंत बिट्टा ने बताया कि इस बार प्रशासन की तरफ से कोविड-19 के सभी निर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा गया है.ऐसे में मंदिर में खासतौर पर तैयारियां की गई हैं.थर्मल स्क्रीनिंग से मंदिर में प्रवेश मिलेगा.इसके बाद सैनिटाइजर दिया जाएगा मां के दरबार में जाने से पहले सैनिटाइजिंग टनल से गुजरना होगा। इस बार किसी को भी दरबार में ज्यादा देर तक खड़े होकर दर्शन करने की अनुमति नहीं मिलेगी। साथ ही 70 साल के बुजुुर्ग और 10 साल से छोटे बच्चों को किले के बाहर से ही दर्शन करवाए जाएंगे.उन्हें दरबार में आने की अनुमति नहीं मिलेगी। बावे वाली माता मंदिर के कपाट सुबह पांच बजे से दोपहर एक बजे तक खुले रहेंगे जिसके बाद दोपहर एक से दो बजे तक माता रानी को भोग लगेगा.भोग के बाद फिर से दोपहर दो बजे से रात 8 बजे तक भक्त दर्शन कर सकेंगे.
किले के बाहर नहीं लगेंगे लंगर
इस साल कोविड-19 के चलते मां की आरती में भी कोई शामिल नहीं हो पाएग ,सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के लिए यह फैसला लिया गया.आरती में केवल मंदिर के पुजारी ही शामिल होंगे.
प्रसाद नहीं चढ़ेगा, न ही वितरित होगा
मंदिर में प्रसाद भी वितरित नहीं किया जाएगा.लोगों द्वारा लाए जाने वाले प्रसाद को पुजारी हाथ नहीं लगाएंगे.महंत बिट्टा का कहना है कि लोग जो भी प्रसाद लाएं वह श्रद्धा से मां के चरणों में मन में ही अर्पित करें.प्रसाद की सुगंध से ही भगवान को भोग लग जाता है.