नई दिल्ली.आतंकी मुल्क पाकिस्तान दुनिया के उन चुनिंदा देशों में से एक है जो परमाणु शक्ति से लैस हैं। 1998 में पोखरण-II के जवाब में पाकिस्तान ने चग़ई पर्वत पर परमाणु परीक्षण करके स्वयं को खुले तौर पर एक परमाणु शक्ति घोषित किया। लेकिन सवाल ये है कि क्या पाकिस्तान की परमाणु क्षमता वाकई दमदार है, या ये केवल दिखावे की शक्ति है?
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पाकिस्तान की परमाणु क्षमताएँ: आंकड़ों में
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तकनीकी मजबूती और सीमाएँ
सकारात्मक पक्ष:
कम दूरी की मिसाइलें: भारत के विरुद्ध “टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन” का विकास।
गुप्त रणनीति: हथियार प्रणाली में भौगोलिक विविधता और छुपाव।
संबंध: चीन और उत्तर कोरिया से तकनीकी सहायता।
कमज़ोरियाँ:
कमजोर सुरक्षा ढांचा: आतंकवादी संगठनों की घुसपैठ की आशंका।
आर्थिक संकट: पाकिस्तान की गिरती अर्थव्यवस्था हथियारों के रखरखाव पर असर डालती है।
राजनीतिक अस्थिरता: असैनिक सरकारों की कमजोरी से परमाणु नीति पर सवाल।
अंतरराष्ट्रीय चिंता
अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश पाकिस्तान की परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहे हैं।
FATF (Financial Action Task Force) द्वारा पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने का एक कारण आतंकियों को दी जा रही शरण भी है, जो परमाणु सुरक्षा के लिए खतरा बनता है।
भारत के दृष्टिकोण से खतरा
भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा है पाकिस्तान की “पहले उपयोग” नीति और टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन का उपयोग सीमावर्ती इलाकों में करने की मंशा। इस नीति के कारण हर सीमा संघर्ष एक परमाणु युद्ध में बदल सकता है.
निष्कर्ष
पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार अवश्य हैं, लेकिन इसकी आर्थिक, राजनीतिक और आतंकी चुनौतियाँ इसकी परमाणु क्षमता को अस्थिर और जोखिम भरी बना देती हैं। यह शक्ति किसी भी समय नियंत्रण से बाहर जा सकती है, और यही बात इसे दक्षिण एशिया के लिए सबसे बड़ा परमाणु खतरा बनाती है।

